विनायक चतुर्थी व्रत कथा | Vinayaka Chaturthi Katha

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप विनायक चतुर्थी व्रत कथा / Vinayaka Chaturthi Katha Hindi PDF प्राप्त कर सकते हैं। विनायक चतुर्थी का व्रत भगवान् गणेश जी को समर्पित होता है। भगवान् गणेश के ही एक रूप को विनायक के नाम से जाना तथा पूजा जाता है। गणेश जी को विघ्न हरने वाले देव के रूप में जाना जाता है।
यदि के जीवन में विभिन्न प्रकार के संकट हैं तथा आपके प्रत्येक कार्य में किसी न किसी प्रकार के विघ्न आते हैं तो आपको नित्य प्रतिदिन भगवान् गणेश का पूजन करना चाहिए यदि आप नित्य पूजन करने में असमर्थ हैं तो आपको प्रत्येक बुद्धवार को गणेश जी का पूजन करना चाहिए तथा विनायक चतुर्थी व्रत का पालन करना चाहिए।
विनायक चतुर्थी व्रत कथा / Vinayaka Chaturthi Katha in Hindi PDF
एक दिन भगवान भोलेनाथ स्नान करने के लिए कैलाश पर्वत से भोगवती गए। महादेव के प्रस्थान करने के बाद मां पार्वती ने स्नान प्रारंभ किया और घर में स्नान करतो हुए अपने मैल से एक पुतला बनाकर और उस पुतले में जान डालकर उसको सजीव किया गया। पुतले में जान आने के बाद देवी पार्वती ने पुतले का नाम गणेश रखा। पार्वती जी ने बालक गणेश को स्नान करते जाते वक्त मुख्य द्वार पर पहरा देने के लिए कहा। माता पार्वती ने कहा कि जब तक में स्नान करके न आ जाऊं किसी को भी अंदर नहीं आने देना।
भोगवती में स्नान कर जब श्रीगणेश अंदर आने लगे तो बाल स्वरूप गणेश ने उनको द्वार पर रोक दिया। भगवान शिव के लाख कोशिश के बाद भी गणेश ने उनको अंदर नहीं जाने दिया। गणेश द्वारा रोकने को उन्होंने अपना अपमान समझा और बालक गणेश का सर धड़ से अलग कर वो घर के अंदर चले गए। शिवजी जब घर के अंदर गए तो वह बहुत क्रोधित अवस्था में थे। ऐसे में देवी पार्वती ने सोचा कि भोजन में देरी की वजह से वो नाराज हैं, इसलिए उन्होंने दो थालियों में भोजन परोसकर उनसे भोजन करने का निवेदन किया।
दो थालियां लगी देखकर शिवजी ने उनसे पूछा कि दूसरी थाली किसके लिए है? तब शिवजी ने जवाब दिया कि दूसरी थाली पुत्र गणेश के लिए है, जो द्वार पर पहरा दे रहा है। तब भगवान शिव ने देवी पार्वती से कहा कि उसका सिर मैने क्रोधित होने की वजह से धड़ से अलग कर दिया। इतना सुनकर पार्वतीजी दुखी हो गई और विलाप करने लगी। उन्होंने भोलेनाथ से पुत्र गणेश का सिर जोड़कर जीवित करने का आग्रह किया। तब महादेव ने एक हाथी के बच्चे का सिर धड़ काटकर गणेश के धड़ से जोड़ दिया। अपने पुत्र को फिर से जीवित पाकर माता पार्वती अत्यंत प्रसन्न हुई। कहा जाता है कि जिस तरह शिव ने श्रीगणेश को नया जीवन दिया था, उसी तरह भगवान गणेश भी नया जीवन अर्थात आरम्भ के देवता माने जाते हैं।

आरती गजवदन विनायक की / Aarti Gajvadan Vinayak Ki

आरती गजवदन विनायक की।

सुर मुनि-पूजित गणनायक की॥

एकदंत, शशिभाल, गजानन,

विघ्नविनाशक, शुभगुण कानन,

शिवसुत, वन्द्यमान-चतुरानन,

दु:खविनाशक, सुखदायक की॥

आरती गजवदन विनायक की।

सुर मुनि-पूजित गणनायक की॥

ऋद्धि-सिद्धि स्वामी समर्थ अति,

विमल बुद्धि दाता सुविमल-मति,

अघ-वन-दहन, अमल अविगत गति,

विद्या, विनय-विभव दायक की॥

आरती गजवदन विनायक की।

सुर मुनि-पूजित गणनायक की॥

पिंगलनयन, विशाल शुंडधर,

धूम्रवर्ण, शुचि वज्रांकुश-कर,

लम्बोदर, बाधा-विपत्ति-हर,

सुर-वन्दित सब विधि लायक की॥

आरती गजवदन विनायक की।

सुर मुनि-पूजित गणनायक की॥

आरती गजवदन विनायक की।

सुर मुनि-पूजित गणनायक की॥

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