विजयादशमी की कथा | Vijayadashami Dussehra Katha

दोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आये हैं विजयादशमी की कथा PDF / Vijayadashami Dussehra Katha PDF in Hindi नमस्कार मित्रों, इस लेख के माध्यम से आप विजयादशमी के महत्व के बारे में जान सकते हैं। विजयादशमी के दिन श्री राम जी कर पूजन करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाले समस्त प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं।

विजयादशमी दशहरा पूजन की सम्पन्नता के लिए विजयादशमी की कथा का बहुत अधिक महत्व है। बिना विजयादशमी कथा पढ़े दशहरा पूजन संपन्न नहीं माना जाता है। इस पोस्ट में दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप विजयादशमी की कथा | Vijayadashami Vrat Katha बड़ी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।

इस कथा के माध्यम से आप यह जान सकते हैं की विजयादशमी का व्यक्ति के जीवन पर क्या प्रभाव होता तथा इस दिन पूजन करने से आप अपने जीवन में क्या – क्या परिवर्तन कर सकते हैं। यह पर्व बुराई पर अच्छाई तथा अन्धकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। आप भी अपने परिवार के साथ दशहरा पर पूजन अवश्य करें।

दशहरा व्रत कथा PDF / Dussehra Vrat Katha PDF in Hindi

एक बार माता पार्वती ने शिवजी से विजयादशमी के फल के बारे में पूछा। शिवजी ने उत्तर दिया- आश्विन शुक्ल दशमी को सायंकाल में तारा उदय होने के समय विजय नामक काल होता है जो सर्वमनोकामना पूरी करने वाला होता है। इस दिन श्रवण नक्षत्र का संयोग हो तो और भी शुभ हो जाता है। भगवान राम ने इसी विजय काल में लंकापति रावण को परास्त किया था। इसी काल में शमी वृक्ष ने अर्जुन के गांडीव धनुष को धारण किया था।

पार्वती माता ने पूछा शमी वृक्ष ने अर्जुन का धनुष कब और किस प्रकार धारण किया था। शिवजी ने उत्तर दिया- दुर्योधन ने पांडवों को जुएं में हराकर 12 वर्ष का वनवास तथा तेरहवें वर्ष में अज्ञात वास की शर्त रखी थी। तेरहवें वर्ष में यदि उनका पता लग जाता तो उन्हें पुन: 12 वर्ष का वनवास भोगना पड़ता। इसी अज्ञातवास में अर्जुन ने अपने गांडीव धनुष को शमी वृक्ष पर छुपाया था तथा स्वयं बृहन्नला के वेश में राजा विराट के पास सेवा दी थी।

जब गौ रक्षा के लिए विराट के पुत्र कुमार ने अर्जुन को अपने साथ लिया तब अर्जुन ने शमी वृक्ष पर से अपना धनुष उठाकर शत्रुओं पर विजय प्राप्त की थी। विजयादशमी के दिन रामचंद्रजी ने लंका पर चढ़ाई करने के लिए प्रस्थान करते समय शमी वृक्ष ने रामचंद्रजी की विजय का उद्घोष किया था। इसीलिए दशहरे के दिन शाम के समय विजय काल में शमी का पूजन होता है।

विजयादशमी दशहरा 2022 पूजा मुहूर्त  / Vijayadashami Puja Muhurat 2022

  • रावण दहन करने का शुभ समय सूर्यास्त के बाद से लेकर रात 08 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।
  • रावण दहन प्रदोष काल में श्रवण नक्षत्र में किए जाने की परंपरा है।
  • 5 अक्टूबर को श्रवण नक्षत्र रात 09:15 बजे तक रहेगा।
  • इसके अलावा विजय मुहूर्त 02:07 PM से 02:54 PM तक रहेगा।
  • अपराह्न पूजा का समय 01:20 PM से 03:41 PM तक रहेगा।

विजयादशमी पूजा विधि PDF / Vijayadashami Puja Vidhi PDF in Hindi

  • दशहरा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वस्छ वस्त्र धारण करना चाहिए।
  • फिर सभी शस्त्रों को पूजा के लिए एक जगह रख दें।
  • अब सभी पर गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें।
  • फिर हल्दी या कुमकुम से तिलकर लगाकर पुष्प अर्पित करें।
  • फूलों के साथ शमी के पत्ते भी चढ़ाएं।

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