वीरभद्र दंडकम् | Veerabhadra Dandakam

वीरभद्र जी भगवान् शिव का ही एक अंश हैं। भगवान् शिव ने अपनी जटा से वीरभद्र जी को प्रकट किया था। वीरभद्र जी को प्रसन्न करने के लिए आप वीरभद्र दंडकम् का प्रापयोग कर सकते हैं। यह एक दिव्य स्तोत्र है। इस स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन करने से आप श्री वीरभद्र जी कृपा प्राप्त कर सकते हैं। वीरभद्र जी अपने भक्तों की समस्त प्रकार के संकटों व कष्टों से रक्षा करते हैं।
हमने अपने सभी पाठकों के लिए इस लेख के अंत में वीरभद्र दंडकम् pdf फाइल का लिंक दिया है, जिसके माध्यम से आप इसे प्राप्त कर इसका लाभ उठा सकते हैं। इस दिव्य स्तोत्र का पाठ करते हुए इस बात का ध्यान रखें कि उच्चारण में कोई भी अशुद्धता न हो अन्यथा इसका पूर्ण लाभ प्राप्त नहीं होगा।
 

Veerabhadra Dandakam Lyrics PDF

 

श्रीवीरभद्रदण्डकम्

श्री भद्र । भद्राम्बिकाप्राणनाथा । सुरारातिभङ्गा । प्रभो ।

रुद्र । रौद्रावतारा । सुनासीर मुख्यामरानेक सम्भावितानल्प

सुश्लोकचारित्र । कोट्यर्कसङ्काश देदीप्यमानप्रभा । दिव्यगात्रा

शिवा । पालिताशेषब्रह्माण्डभाण्डोदरा । मेरुधीरा । विराड्रूप ।

वाराशिगम्भीर । सौजन्यरत्नाकरा । वारिदश्याम । नारायणध्येय

मौनीन्द्रचित्ताब्जभृङ्गा । सुरारातिभङ्गा । महोदार ।

भक्तौघकल्पद्रुमा । शिष्टरक्षा । प्रशस्तप्रतापोज्ज्वला ।

श्रीकरा । भीकरा । भीकरालोक । चूर्णीकृतार्येषु दोर्दण्ड पाण्डित्य

संरम्भणोल्लास । राजत्कराम्भोज विन्यस्त खड्गत्रिशूलादिनानायुधा ।

भण्डनाचार्य । रुद्राक्षमालालसद्देह । रत्नाञ्चितानर्घ सौवर्ण

केयूर भास्वत् किरीटोत्तमाङ्गा । त्रिपुण्ड्राङ्क सर्वाङ्गसंशोभिता

चन्द्रकोटीर । हेमाम्बराडम्बरा । दैवचूडामणी । सन्तताखण्ड ।

दीर्घायुरारोग्यसौभाग्यसिद्धिप्रदा । देव । तापत्रयध्वान्तभानू ।

वियत्केश । मृत्युञ्जया । दीनचिन्तामणी । सर्वलोकेश । लोकात्म ।

लोकस्वरूपा । महायज्ञविध्वंसनाध्यक्ष । दाक्षायणीपुत्र ।

अक्षीणपुण्या । विभो । वीरभद्रा । महाकालरुद्रा । कृपामुद्र ।

मां पाहि दीनबन्धो । दयावारिराशी । लसच्चित्रभूषा ।

महादिव्यवेषा । हरा । भक्तपोषा । दयावार्थि । वीरेश्वरा ।

नित्यकल्याणसन्धानधौरेय । पापाटवी कील दावानला ।

पुण्यमूर्ते । नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमः ॥

इति श्रीवीरभद्रदण्डकं सम्पूर्णम् ।

 

वीरभद्र दंडकम् पाठ विधि

  • सर्वप्रथम स्नान आदि करके स्वच्छ हो जाएँ।
  • अब भगवान् शिव व वीरभद्र जी का ध्यान व आवाहन करें।
  • तत्पश्चात श्री वीरभद्र दंडकम् का पाठ करें।
  • पाठ संपन्न होने पर आरती करें।
  • अंत में अपने व परिवार की रक्षा के लिए प्रार्थना करें।

 
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