दोस्तों आज हम आपके लिए एक नया टॉपिक लेकर आये है जिसमे आपको हम वैश्वीकरण के बारे में समझायेंगे तथा साथ ही हमने वैश्वीकरण क्या है PDF हिंदी भाषा में अपलोड भी किया है। वैश्वीकरण एक बहुआयामी अवधारणा है। इसके राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अवतार हैं और इनके बीच ठीक-ठीक भेद किया जाना चाहिए। यह मान लेना गलत है कि वैश्वीकरण केवल आर्थिक परिघटना है। दूसरे शब्दों में वैश्वीकरण वह प्रक्रिया हैं, जिसमें विश्व बाजारों के मध्य पारस्परिक निर्भरता उत्पन्न होती है और व्यापार देश की सीमाओं में प्रतिबंधित न रहकर विश्व बाजारों में निहित तुलनात्मक लागत सिद्धांत के लाभों को प्राप्त करने सफल हो जाता हैं। साधारण शब्दों मे वैश्वीकरण का अर्थ है देश की अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत करना। यहाँ से आप बड़ी आसानी से Vaishvikaran Kya Hai PDF in Hindi / वैश्वीकरण क्या है PDF हिंदी में डाउनलोड कर सकते हैं।
वैश्वीकरण के कारण
दुनिया के राष्ट्रों और लोगों के बीच कम होते इस फासले के कई कारण है, जैसे कि :-
- विज्ञान एवं तकनीक का विकास
- देशो के बीच आपसी निर्भरता
- घटनाओं का विश्वव्यापी प्रभाव
- बड़े पैमाने पर उत्पादन एवं नये बाजारों की तलाश
- उत्पादन, औद्योगिक संरचना एवं प्रबंधन का लचीलापन
- अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय एवं वाणिज्यिक संस्थाए (विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं विश्व व्यापार संगठन)
वैश्वीकरण की विशेषताएं
यातायाय संचार के साधनों ने दूरियाँ मिटा दी है। इनमे कम्प्यूटर एवं इंटरनेट की महत्वपूर्ण भूमिका है।
इसमे एक ग्लोबल संस्कृति का विकास हुआ है, जिसके दर्शन हमे पूरे विश्व मे होते है। जीन्स, टी-शर्ट, फास्ट फूड, दूरदर्शन चैनल इत्यादि इसी की देन है।
इससे विश्वव्यापी अनाचार और भ्रष्टाचार बढ़ा है।
श्रम-बाजार विश्वव्यापी हो गया है। प्रवासी श्रम इसी की देन है। श्रमिकों की दलाली बढ़ी है।
शिक्षा का भी मुखमण्डलीकरण हुआ है।
योग्यता का प्रवाह यानी ब्रेनड्रेन आम बात हो गई है। पैसे के लोभ मे योग्य व्यक्ति विदेशो मे पैसे कमाने के लिए भाग रहा है।
इससे बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का महत्व बढ़ गया है।
वैश्वीकरण के लाभ
1. नवीन तकनीकों का आगमन
वैश्वीकरण द्वारा विदेशी पूँजी के निवेश मे वृद्धि होती है एवं नवीन तकनीकों का आगमन होता हैं, जिससे श्रम की उत्पादकता एवं उत्पाद की किस्म में सुधार होता है।
2. जीवन-स्तर में वृद्धि
वैश्वीकरण से जीवन-स्तर मे वृद्धि होती है, क्योंकि उपभोक्ता को पर्याप्त मात्रा मे उत्तम किस्म की वस्तुयें न्यूनतम मूल्य पर मिल जाती हैं।
वैश्वीकरण की हानियाँ
1. आर्थिक असन्तुलन
वैश्वीकरण के कारण विश्व मे आर्थिक अन्तुलन पैदा हो रहा है। गरीब राष्ट्र अधिक गरीब एवं अमीर राष्ट्र अधिक सम्पन्न हो रहे हैं। इसी प्रकार देश मे भी गरीब एवं अमीर व्यक्तियों के बीच विषमता बढ़ रही हैं।
वैश्वीकरण के कारण स्थानीय उधोग धीरे-धीरे बन्द होते जा रहे हैं। विदेशी माल की प्रतियोगिता के सामने देशी उधोग टिक नही पाते हैं। उनका माल बिक नही पाता है या घाटे मे बेचना पड़ता है। यही कारण है कि देश मे कई उधोग बन्द हो गये है या बन्द होने की कगार पर हैं।
विश्व के औधोगिक जगत पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों (मल्टी नेशनल) का प्रभुत्व एवं शिकंजा बढ़ता जा रहा है। ये बड़ी-बड़ी कम्पनियां स्थानीय उधोगों को निगलती जा रही है एवं स्थानीय उधोग या तो बन्द हो रहे है या इनके अधीन जा रहे है जैसे-कोका कोला कम्पनी ने भारत के थम्सअप, लिम्का के उत्पादन को अपने अधीन कर लिया हैं।
वैश्वीकरण के कारण विदेशी माल मुक्त रूप से भारतीय बाजारों मे प्रवेश कर गया है। परिणामस्वरूप स्थानीय उधोग बन्द हो रहे है एवं बेरोजगारी (बेकारी) बढ़ रही हैं। देश मे औधोगिक श्रमिकों की संख्या घट रही हैं।
वैश्वीकरण राष्ट्र प्रेम एवं स्वदेश की भावना को आघात पहुँचा रहा है। लोग विदेशी वस्तुओं का उपभोग करना शान समझते है एवं देशी वस्तुओं को घटिया एवं तिरस्कार योग समझते हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व, गैट आदि अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं के दबाव में सरकारे काम कर रही हैं। हितों की अवहेलना करके सरकार को इनकी शर्तें माननी पड़ती हैं। भारत जैसे राष्ट्र को अपनी आर्थिक, वाणिज्यिक एवं वित्तीय नीतायां इन संस्थाओं के निर्देशों के अनुसार बनानी पड़ रही हैं।
वैश्वीकरण के आयाम
वैश्वीकरण एक बहुआयामी प्रक्रिया है, जिसके आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक एवं प्रौद्योगिकी आयाम है। इसके विभिन्न आयामों पर विश्लेषण निम्नलिखित है:-
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