सुन्दरकाण्ड चौपाई | Sundar Kand Ki Chaupai

Sundar Kand Lyrics in Hindi
सम्पूर्ण रामचरितमानस में सुन्दरकाण्ड का एक विशेष स्थान है। सुन्दरकाण्ड के अंतर्गत मुख्यतः श्री हनुमान जी की दिव्या लीलाओं एवं उनकी बुद्धि एवं बल का वर्णन मिलता है। सुन्दरकाण्ड अत्यधिक प्रभावशाली एवं दिव्य है, इसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति को समस्त प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। जिस घर में प्रतिदिन विधिवत सुन्दरकाण्ड का पाठ होता है, उस घर सदैव सुख, शान्ति एवं समृद्धि का निरंतर वास रहता है। यहां सम्पूर्ण सुन्दरकाण्ड की पीडीऍफ़ फाइल निशुक्ल उपलब्ध है जिसे आप नीचे दिए हुए लिंक से डाउनलोड कर सकते हैं।

||श्लोक||

शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं
ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम् ।
रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं
वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूड़ामणिम्।।1।।

नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये
सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा।
भक्तिं प्रयच्छ रघुपुङ्गव निर्भरां मे
कामादिदोषरहितं कुरु मानसं च।।2।।

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।3।।

जामवंत के बचन सुहाए। सुनि हनुमंत हृदय अति भाए।।
तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई। सहि दुख कंद मूल फल खाई।।
जब लगि आवौं सीतहि देखी। होइहि काजु मोहि हरष बिसेषी।।
यह कहि नाइ सबन्हि कहुँ माथा। चलेउ हरषि हियँ धरि रघुनाथा।।
सिंधु तीर एक भूधर सुंदर। कौतुक कूदि चढ़ेउ ता ऊपर।।
बार बार रघुबीर सँभारी। तरकेउ पवनतनय बल भारी।।
जेहिं गिरि चरन देइ हनुमंता। चलेउ सो गा पाताल तुरंता।।
जिमि अमोघ रघुपति कर बाना। एही भाँति चलेउ हनुमाना।।
जलनिधि रघुपति दूत बिचारी। तैं मैनाक होहि श्रमहारी।।
दो0- हनूमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम।
राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम।।1।।

यहां नीचे दिए हुए डाउनलोड बटन से आप हिंदी भाषा में सम्पूर्ण सुन्दर काण्ड डाउनलोड कर सकते हैं।

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