सोम प्रदोष व्रत कथा | Som Pradosh Vrat Katha

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से सोम प्रदोष व्रत कथा / Som Pradosh Vrat Katha PDF प्राप्त कर सकते हैं। त्रियोदशी तिथि के दिन भगवान् शिव के निमित्त किये जाने वाले व्रत को प्रदोष व्रत कहते हैं। जब त्रियोदशी तिथि सोमवार को पड़ती है, तब उसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है। सोम प्रदोष व्रत को अन्य सभी व्रत की तुलना में सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
सोम प्रदोष व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में अप्रत्याशित परिवर्तन आते हैं तथा वह भगवान् शिव की विशेष कृपा प्राप्त करता है। इस व्रत को नियमित रूप से करने से जातक की कुंडली में आने वाले सभी दोष विलुप्त हो जाते हैं। यदि आप भी अपने जीवन में बहुत दुखी हो चुके हैं, तो नियमित रूप से इस व्रत का पालन अवश्य करें।

सोम प्रदोष व्रत कथा इन हिंदी | Som Pradosh Vrat Ki Katha

पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी। उसके पति का स्वर्गवास हो गया था। उसका अब कोई सहारा नहीं था इसलिए वह सुबह होते ही वह अपने पुत्र के साथ भीख मांगने निकल पड़ती थी। वह खुद का और अपने पुत्र का पेट पालती थी। एक दिन ब्राह्मणी घर लौट रही थी तो उसे एक लड़का घायल अवस्था में कराहता हुआ मिला। ब्राह्मणी दयावश उसे अपने घर ले आई। वह लड़का विदर्भ का राजकुमार था। शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण कर उसके पिता को बंदी बना लिया था और राज्य पर नियंत्रण कर लिया था इसलिए वह मारा-मारा फिर रहा था। राजकुमार ब्राह्मण-पुत्र के साथ ब्राह्मणी के घर रहने लगा।
एक दिन अंशुमति नामक एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा तो वह उस पर मोहित हो गई। अगले दिन अंशुमति अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलाने लाई। उन्हें भी राजकुमार पसंद आ गया। कुछ दिनों बाद अंशुमति के माता-पिता को शंकर भगवान ने स्वप्न में आदेश दिया कि राजकुमार और अंशुमति का विवाह कर दिया जाए। वैसा ही किया गया। ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करने के साथ ही भगवान शंकर की पूजा-पाठ किया करती थी। प्रदोष व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को खदेड़ दिया और पिता के साथ फिर से सुखपूर्वक रहने लगा। राजकुमार ने ब्राह्मण-पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बनाया। मान्यता है कि जैसे ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के प्रभाव से दिन बदले, वैसे ही भगवान शंकर अपने भक्तों के दिन फेरते हैं।

Som Pradosh Vrat Pooja Vidhi | सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि

  • प्रदोष व्रत करने वाले जातकों को सुबह सूर्योदय से पहले बिस्तर त्याग देना चाहिए।
  • इसके बाद नहा-धोकर पूरे विधि-विधान के साथ भगवान शिव का भजन कीर्तन और आराधना करनी चाहिए।
  • इसके बाद घर के ही पूजाघर में साफ-सफाई कर पूजाघर समेत पूरे घर में गंगाजल से पवित्रीकरण करना चाहिए।
  • पूजाघर को गाय के गोबर से लीपने के बाद रेशमी कपड़ों से मंडप बनाना चाहिए।
  • इसके बाद आटे और हल्दी की मदद से स्वस्तिक बनाना चाहिए।
  • व्रती को आसन पर बैठकर सभी देवों को प्रणाम करने के बाद भगवान शिव के मंत्र ‘ओम नमः शिवाय’ का जाप करना चाहिए।

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