शिव महिम्न स्तोत्र | Shiv Mahimna Stotra

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माधयम से आप शिव महिम्न स्तोत्र / Shiv Mahimna Stotra PDF प्राप्त कर सकते हैं। श्रावण मास में भोलेनाथ शंकर की सादगी का वर्णन करने से ‍शिव प्रसन्न होते हैं। शिव के इस महिम्न स्तोत्रम् में शिव के दिव्य स्वरूप एवं उनकी सादगी का वर्णन है। इस महिम्न स्तोत्र के पीछे अनूठी और सुंदर कथा प्रचलित है।
शिवमहिम्न स्तोत्र का तात्पर्य भगवान् शिव की महिमा से है | इस स्तोत्र में भगवान् शिव की महिमा का वर्णन किया गया है। भगवान् शिव का पूजन करने से न तो व्यक्ति को अकाल मृत्यु का भी रह जाता है और न ही किसी भी प्रकार की दुर्घटना का भय रहता है तथा भगवान् शिव उस व्यक्ति की और उसके परिवार की रक्षा करते हैं।
शिव जी को प्रशन्न करने के लिए शिवाष्टक स्तोत्र का जाप करना चाहिए। अपने सभी कष्टों का निवारण करने के लिए शिव रुद्राष्टकम का गायन भी करना चाहिए। शिव पंचाक्षर स्तोत्र तथा शिव सहस्त्रनाम स्तोत्र का सच्चे मन से जाप करने से जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति हो जाती है। भक्तजन अगर हमेशा शिव हरे शिव राम सखे प्रभु का पाठ गाते रहें तो बड़ा आनंद मिलता है।

शिव महिम्न स्तोत्र PDF | Shiv Mahimna Stotra PDF in Hindi

इस स्तोत्र के निर्माण पर एक अत्यंत ही रोचक कथा प्रचलित है। एक समय की बात है जब चित्ररथ नामक शिवभक्त राजा हुए जिन्होंने अपने राज्य में कई प्रकार के पुष्पों का एक उद्यान बनवाया, वह शिवपूजन के लिये पुष्प वहीं से ले जाते थे। महान् शिवभक्त गंधर्व पुष्पदंत देवराज इंद्र की सभा के मुख्य गायक थे, एक दिन उनकी नजर उस सुंदर उद्यान पर पड़ी और वह मंत्रमुग्ध हो गए, उन्होंने उसी उद्यान से पुष्प तोड़े तथा प्रस्थान किया। मायावी गंधर्व पर किसी की नजर नहीं पड़ी पर जब राजा को इसका पता चला तो उसने चोर को पकड़ने के कई असफल प्रयास किए। राजा को एक तरकीब सूझी उसने शिव पर अर्पित पुष्प आदि उद्यान के पथ पर बिछा दिया। अगले दिन जब पुष्पदंत वहाँ आए तो उनकी नजर उन शिव निर्माल्य वस्तुओं पर नहीं पड़ी जिससे उनके पद ही उनपर पड़ गए। गंधर्वराज को शिव के क्रोध का भाजन करना पड़ा तथा उनकी सारी शक्तियाँ समाप्त हो गईं। जब उनको अपनी भूल का आभास हुआ तब उन्होंने एक शिवलिंग का निर्माण कर उसकी पूजा की तथा प्रार्थना के लिये कुछ छंद बोले, शिव प्रसन्न हुए, उनकी शक्तियाँ लौटा दी तथा यह आशीर्वाद दिया कि उनके द्वारा उच्चारित छंद समूह भविष्य में शिवमहिम्नस्तोत्र के नाम से प्रचलित होगा तथा उनके हृदय में स्थान प्राप्त करेगा और पुष्पदंत द्वारा बनाया गया शिवलिंग पुष्पदंतेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध होगा जिसके दर्शन मात्र से पाप कटेगा। इस प्रकार शिवमहिम्न स्तोत्र की रचना हुई।

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