प्रिय पाठकों, आज हम आपके लिए शिक्षक की भूमिका pdf प्रस्तुत कर रहे हैं जिसे आप शिक्षक की भूमिका पर निबंध के रूप में पढ़ सकते हैं। समाज के उत्थान में शिक्षक का बहुत ही बड़ा योगदान होता है। शिक्षा में शिक्षक की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है। बहुत से व्यक्ति हमारे जीवन में आदर्श शिक्षक की भूमिका निभाते हैं। आचार्य श्री चाणक्य ने कहा था “शिक्षक साधारण नहीं होता, प्रलय व निर्माण उसकी गोद में पालते हैं “। अतः एक शिक्षक की भूमिका समाज को बना भी सकती है और उसका विनाश भी कर सकती है। शिक्षा निर्धन का धन तथा निर्बल का बल होता है तथा एक शिक्षक उस शिक्षा को हम तक पहुँचाने का एक उत्कृष्ट माध्यम होता है। सामाजिक परिवर्तन में शिक्षक की भूमिका एक विशेष स्थान रखती है। किसी को यदि एक सद्गुणी शिक्षक का सानिध्य प्राप्त हो जाता है, तो उसका सम्पूर्ण भविष्य प्रकाशवान बन जाता है। विद्यालय प्रबंधन में शिक्षक की भूमिका तो आप जानते ही होंगे किन्तु अपने आप के आकलन में शिक्षक की भूमिका भी अत्यंत उपयोगी होती है। यदि आप भी एक शिक्षक की भूमिका के बारे में जानना चाहते हैं, तो नीचे दिए हुए डाउनलोड लिंक पर जाकर शिक्षक की भूमिका pdf डाउनलोड करें।
शिक्षक की भूमिका इन हिंदी / Samaj Me Shikshak Ki Bhumika Essay in Hindi :
शिक्षक वह पथ प्रदर्शक होता है जो हमें किताबी ज्ञान ही नहीं बल्कि जीवन जीने की कला सिखाता है। शिक्षकों का कार्य बहुत महत्वपूर्ण और कठिन है। एक अच्छे गुरू का मिलना बहुत दुर्लभ है। गुरू ही नई पीढ़ी को सही मार्गदर्शन देकर समाज और देश के लिये नई पीढ़ी तैयार करते हैं। उनका सम्मान करना हम सब के लिये गौरव की बात है।
भारतीय संस्कृति में शिक्षक को दो स्वरूपों में देखा जाता है। जिन्हें आध्यात्मिक गुरु और लौकिक गुरु के रूप में परिभाषित किया गया है। जीवन में शिक्षक नहीं हो तो ‘शिक्षण’ संभव नहीं है। शिक्षण का शाब्दिक अर्थ ‘शिक्षा देने’ से है लेकिन इसकी आधारशिला शिक्षक रखता है। शिक्षक का दर्जा समाज में हमेशा से ही पूज्यनीय रहा है क्योंकि उन्हें ‘गुरु’ कहा जाता है। जहाँ से हमें ज्ञान मिलता है, फिर चाहे वह लौकिक हो या आध्यात्मिक। हमें हमेशा ही उसका आदर करना चाहिए।
एक खुशहाल, स्वस्थ और सम्पन्न समाज और देश के निर्माण के लिए शिक्षा पहली आवश्यकता है। शिक्षा के अवसर उपलब्ध करवाना सभी माता-पिता के साथ-साथ समाज के हर जिम्मेदार संगठन और व्यक्ति का मूल दायित्व है। बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं। इसलिए शिक्षक, माता-पिता और अभिभावक बच्चों को शिक्षित करने का दायित्व पूरी ईमानदारी से अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझते हुए निभायें।
वर्तमान समय में विद्यार्थियों के संदर्भ में एक शिक्षक की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण होती जा रही है। उसके अनेक कारण हो सकते हैं। जैसे आज-कल विद्यार्थी बहुत ही सजग, कुशल, अद्यतन (Updated) होने के साथ-साथ बहुत अस्थिर और अविश्वासी भी होते जा रहे हैं। इसके कारण चाहे जो कुछ भी हो परंतु एक शिक्षक को आज के ऐसे ही विद्यार्थियों को उचित प्रशिक्षण, सदुपयोगी शिक्षण और सटीक कल्याणकारी, दूरगामी मार्गदर्शन प्रदान करते हुए उन्हें भावी देश के कर्णधार, जिम्मेदार देशभक्त नागरिकों में परिणित करना है। एक शिक्षक की जिम्मेदारी बहुत अधिक होती है। क्योंकि उसे ना केवल बच्चों का बौद्धिक, नैतिक, मनोवैज्ञानिक ,शारीरिक विकास करना है अपितु सामाजिक, चारित्रिक, एवं सांवेगिक विकास करना भी आज शिक्षक का ही कर्तव्य है।
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