शीतला अष्टमी पूजा विधि | Sheetala Ashtami Puja Vidhi

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप शीतला अष्टमी पूजा विधि / Sheetala Ashtami Puja Vidhi PDF प्राप्त कर सकते हैं। हिन्दू वैदिक ज्योतिष के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। शीतला अष्टमी के पर्व को होली के ठीक आठवें दिन मनाया जाता है। इस दिन शीतला माता की पूजा – अर्चना की जाती है। स्थानीय भाषा में कई क्षेत्रों में शीतला अष्टमी को बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है।
क्योंकि इस दिन शीतला माता को बासे भोजन का भोग लगाया जाता है और लोग भी बासा भोजन ही ग्रहण करते हैं। उत्तर भारत में इस त्योहार का विशेष महत्व है। लोग सप्तमी की रात में ही मातारानी के लिए हलवा और पूड़ी का भोग तैयार कर लेते हैं और अष्टमी के दिन ये माता शीतला को अर्पित किया जाता है। कुछ जगहों पर गन्ने के रस में पकी रसखीर का भोग भी लगाया जाता है। इसे भी एक रात पहले ही तैयार कर लिया जाता है।

शीतला अष्टमी पूजा विधि / Sheetala Ashtami Puja Vidhi PDF

  • सप्तमी चूल्हा आदि साफ करके स्नान कर लें और माता शीतला का भोग तैयार कर लें।
  • इसी प्रसाद को अगले दिन अष्टमी पर माता को चढ़ाया जाएगा। अष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी नित्य कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें।
  • स्नान के बाद माता शीतला के सामने हाथों में फूल, अक्षत और दक्षिणा लेकर इस मंत्र -श्मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धिये शीतलाष्टमी व्रतं करिष्येश् से व्रत का संकल्प लें और सभी चीजें मां को अर्पित कर दें।
  • इसके बाद मां शीतला को फूल अर्पित करें। इसके बाद सिंदूर लगाएं और वस्त्र अर्पित कर दें।
  • इसके बाद भोग में बासा भोजन चढ़ाएं।
  • इसके साथ ही आप चाहे तो दूध, रबड़ी, चावल आदि का भी भोग लगा सकते हैं।
  • इसके बाद पुष्प की माध्यम से जल अर्पित करें।
  • फिर दीपक-धूप जलाकर शीतला स्त्रोत का पाठ करें।
  • अंत में आरती करते मां का आशीर्वाद लें और रात में जगराता व दीपमालाएं प्रज्जवलित करने का भी विधान है।
  • बासी भोजन की घर के हर सदस्य को प्रसाद के रूप में खाएं।

शीतला माता की आरती / Sheetla Mata Ki Aarti Lyrics PDF

जय शीतला माता,

मैया जय शीतला माता ।

आदि ज्योति महारानी,

सब फल की दाता ॥

ॐ जय शीतला माता..॥

रतन सिंहासन शोभित,

श्वेत छत्र भाता ।

ऋद्धि-सिद्धि चँवर ढुलावें,

जगमग छवि छाता ॥

ॐ जय शीतला माता..॥

विष्णु सेवत ठाढ़े,

सेवें शिव धाता ।

वेद पुराण वरणत,

पार नहीं पाता ॥

ॐ जय शीतला माता..॥

इन्द्र मृदङ्ग बजावत,

चन्द्र वीणा हाथा ।

सूरज ताल बजावै,

नारद मुनि गाता ॥

ॐ जय शीतला माता..॥

घण्टा शङ्ख शहनाई,

बाजै मन भाता ।

करै भक्तजन आरती,

लखि लखि हर्षाता ॥

ॐ जय शीतला माता..॥

ब्रह्म रूप वरदानी,

तुही तीन काल ज्ञाता ।

भक्तन को सुख देती,

मातु पिता भ्राता ॥

ॐ जय शीतला माता..॥

जो जन ध्यान लगावे,

प्रेम शक्ति पाता ।

सकल मनोरथ पावे,

भवनिधि तर जाता ॥

ॐ जय शीतला माता..॥

रोगों से जो पीड़ित कोई,

शरण तेरी आता ।

कोढ़ी पावे निर्मल काया,

अन्ध नेत्र पाता ॥

ॐ जय शीतला माता..॥

बांझ पुत्र को पावे,

दारिद्र कट जाता ।

ताको भजै जो नाहीं,

सिर धुनि पछताता ॥

ॐ जय शीतला माता..॥

शीतल करती जननी,

तू ही है जग त्राता ।

उत्पत्ति व्याधि बिनाशन,

तू सब की घाता ॥

ॐ जय शीतला माता…॥

दास विचित्र कर जोड़े,

सुन मेरी माता ।

भक्ति आपनी दीजै,

और न कुछ भाता ॥

ॐ जय शीतला माता…॥

जय शीतला माता,

मैया जय शीतला माता ।

आदि ज्योति महारानी,

सब फल की दाता ॥

ॐ जय शीतला माता..॥

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