नारायण स्तुति | Shantakaram Bhujagashayanam Lyrics

प्रिय पाठकों, हम आपके लिए श्री नारायण स्तुति pdf प्रस्तुत कर रहे हैं। यह श्री विष्णु भगवान् को समर्पित एक बहुत मधुर स्तुति है। नारायण स्तुति को शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं के नाम से भी जाना जाता है। बहुत से लोगों को यह स्तुति इतनी अधिक प्रिय है कि वह शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं ringtone को अपने फ़ोन में प्रयोग करते हैं। यह नारायण स्तुति विष्णुस्तुतिः के रूप में बहुत ही प्रचलित है तथा इसके गायन से लोगों के जीवन में अप्रत्याशित परिवर्तन हुए हैं।
हमने अपने प्रिय पाठकों की सुविधा हेतु इस लेख के अंत में श्री नारायण स्तुति pdf का लिंक दिया हुआ था जिसके द्वारा आप इस सुन्दर स्तुति को प्राप्त कर सकते हैं। इस स्तुति के पाठ से आपको असीम मानसिक शांति व शारीरिक स्वास्थ्य प्राप्त होता है। आप भी इस स्तुति को डाउनलोड करें तथा इसका पाठ करें।
 

Shantakaram Bhujagashayanam Lyrics in Hindi PDF

 

।। नारायणस्तुतिः ।।

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं

विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् ।

लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं

वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥ १॥

यं ब्रह्मा वरुणेन्द्ररुद्रमरुतः स्तुन्वन्ति दिव्यैस्स्तवैः

वेदैः साङ्गपदक्रमोपनिषदैर्गायन्ति यं सामगाः ।

ध्यानावस्थिततद्गतेन मनसा पश्यन्ति यं योगिनो

यस्यान्तं न विदुः सुरासुरगणा देवाय तस्मै नमः ॥ २॥

हे राम पुरुषोत्तम नरहरे नारायण केशव

गोविन्द गरुडध्वज गुणनिधे दामोदर माधव ।

हे कृष्ण कमलापते यदुपते सीतापते श्रीपते

वैकुण्ठाधिपते चराचरपते लक्ष्मीपते पाहि माम् ॥ ३॥

आदौ रामतपोवनादिगमनं हत्वा मृगङ्काचनं

वैदेहीहरणं जटायुमरणं सुग्रीवसम्भाषणम् ।

बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं लङ्कापुरीदाहनं

पश्चाद्रावणकुम्भकर्णहननं एतद्धि रामायणम् ॥ ४॥

आदौ देवकिगर्भजननं गोपीगृहे वर्द्धनं

मायापूतनजीवितापहरणं गोवर्धनोद्धारणम् ।

कंसोच्छेदनकौरवादिहननं कुन्तीसुतापालनं

एतच्छ्रीमद्भागवतपुराणकथितं श्रीकृष्णलीलामृतम् ॥ ५॥

कस्तूरीतिलकं ललाटपटले वक्षःस्थले कौस्तुभं

नासाग्रे वरमौक्तिकं करतले वेणुः करे कङ्कणम् ।

सर्वाङ्गे हरिचन्दनं सुललितं कण्ठे च मुक्तावलिः

गोपस्त्रीपरिवेष्टितो विजयते गोपालचूडामणिः ॥ ६॥

फुल्लेन्दीवरकान्तिमिन्दुवदनं बर्हावतंसप्रियं

श्रीवत्साङ्कमुदारकौस्तुभधरं पीताम्बरं सुन्दरम् ।

गोपीनां नयनोत्पलार्चिततनुं गोगोपसङ्घावृतं

गोविन्दं कलवेणुनादनपरं दिव्याङ्गभूषं भजे ॥ ७॥

सशङ्खचक्रं सकरीटकुण्डलं

सपीतवस्त्रं सरसीरुहेक्षणम् ।

सहार वक्षःस्थलकौस्तुभश्रियं

नमामि विष्णुं शिरसा चतुर्भुजम् ॥ ८॥

त्वमेव माता च पिता त्वमेव

त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव ।

त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव

त्वमेव सर्वं मम देवदेव ॥ ९॥

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।

सहस्रनाम तत्तुल्यं राम नाम वरानने ॥ १०॥

।। इति नारायणस्तुतिः समाप्ता ।।

 

श्री नारायण स्तुति पाठ की विधि / Shantakaram Bhujagashayanam Shloka PDF Benefits

  • सबसे पहले सुबह जाग कर स्नान करके स्वच्छ हो जाएँ।
  • अब पूर्व दिशा की और मुख करके बैठ जाएँ।
  • एक लकड़ी की चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर श्री विष्णु नारायण की स्थापना करें।
  • अब प्रभु को पीले पुष्प, फल तथा नैवेद्य आदि अर्पित करें।
  • तत्पश्चात श्री नारायण स्तुति का पाठ करें।
  • अंत में श्री विष्णु नारायण जी की आरती करें तथा आशीर्वाद ग्रहण करें।

 
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