शालिग्राम जी की आरती | Shaligram Ji Ki Aarti

नमस्कार पाठकों, शालिग्राम जी की आरती / Shaligram Ji Ki Aarti PDF प्राप्त कर सकते हैं। शालिग्राम भगवान् विष्णु जी का ही एक रूप हैं शालिग्राम जी एक शिला के रूप में होते हैं जिनका पूजन माता तुलसी जी के साथ किया जाता है। माना जाता है कि तुलसी जी के समक्ष शालिग्राम जी का होना बहुत आवश्यक है।
तुलसी शालिग्राम का पूजन साथ में ही किया जाना चाहिए अन्यथा दोनों ही के पूजन का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को तुलसी – शालिग्राम विवाह का आयोजन किया जाता है तथा इसी दिन से हिन्दू रीती – रिवाजों में विवाह आदि कार्यकर्म आरम्भ हो जाते हैं। शलिग्राम जी के पूजन के लिए आप इस यहां दी गयी सुन्दर आरती का प्रयोग कर सकते हैं।

श्री शालिग्राम जी की आरती | Shaligram Bhagwan Ji Ki Aarti PDF

शालीग्राम  सुनो    विनती    मेरी |

यह     वरदान     दयाकर    पाऊं ||

 प्रातः   समय  उठी   मंजन  करके |

प्रेम     सहित      स्नान      कराऊं ||

चन्दन    धूप     दीप     तुलसीदल |

वरण – वरण    के   पुष्प   चढ़ाऊं ||

तुम्हरे   सामने  नृत्य   करूं   नित |

प्रभु  घण्टा   शंख   मृदंग  बजाऊं ||

चरण    धोय   चरणामृत    लेकर |

कुटुम्ब  सहित  बैकुण्ठ   सिधारूं ||

जो  कुछ   रूखा – सूखा   घर  में |

भोग    लगाकर    भोजन    पाऊं ||

मन   बचन   कर्म  से  पाप  किये |

जो   परिक्रमा  के  साथ   बहाऊं ||

ऐसी    कृपा    करो    मुझ    पर |

जम   के   द्वारे   जाने   न   पाऊं ||

माधोदास  की  विनती   यही   है |

हरि दासन   को  दास   कहाऊं ||

|| श्री शालीग्राम जी की आरती समाप्तः ||

शालिग्राम जी का पूजन मंत्र | Shaligram Puja Mantra

ऊँ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं।

विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।।

लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम् ।

वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥

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