अमावस्या श्राद्ध विधि | Sarva Pitru Amavasya Shradh Vidhi

श्राद्ध के द्वारा मनुष्य अपने पितरों को तृप्त करता है। श्राद्ध पक्ष के दौरान आने वाली अमावस्या तिथि को सर्व पितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है। सर्व पितृ अमावस्या के दिन उन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु की तिथि किसी को याद नहीं होती है। पितृ अमावस्या पर किया गया श्राद्ध बहुत ही फलदायी होता है तथा इससे एक यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है।
इस अमावस्या श्राद्ध के दिन समुचित दान करना चाहिए तथा ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। बहुत से लोग मानते हैं कि अमावस्या के दिन नकारात्मक शक्तियां हावी रहती हैं। अतः सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध के माध्यम से आप विभिन्न प्रकार की नकारात्मक शक्तियों से भी बच सकते हैं। अपने पितरों की संतुष्टि के लिए श्राद्ध अमावस्या के दिन पितृ तर्पण अवश्य करना चाहिए।
 

पितृ अमावस्या के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

  • शरीर पर तेल का उपयोग न करें।
  • लोहे के बर्तन, बासी फल-फूल और अन्‍न का उपयोग न करें
  • पितृ अमावस्या के क्रोध न करें।
  • अपने नगर से बहार यात्रा न करें।
  • इस दिन मांस-मद‍िरा का सेवन पूर्णतः वर्जित है।
  • पितृ अमावस्या के दिन उड़द दाल, मसूर, चना, खीरा, जीरा, सत्‍तू और मूली आदि का भी सेवन नहीं करना चाहिए।

सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध पूजन सामग्री

अमावस्या श्राद्ध करने हेतु निम्नलिखित पूजन सामग्री की आवश्यकता होती है।
रोली, सिंदूर, छोटी सुपारी , रक्षा सूत्र, चावल,  जनेऊ, कपूर, हल्दी, देसी घी, माचिस, शहद,  काला तिल, तुलसी पत्ता , पान का पत्ता, जौ,  हवन सामग्री, गुड़ , मिट्टी का दीया , रुई बत्ती, अगरबत्ती, दही, जौ का आटा, गंगाजल,  खजूर, केला, सफेद फूल, उड़द, गाय का दूध, घी, खीर, स्वांक के चावल, मूंग, गन्ना।
 

अमावस्या श्राद्ध का भोजन कैसे बनायें ?

  • श्राद्ध का भोजन पूरी शुद्धता से पकाएं।
  • श्राद्ध का भोजन हमेशा दोनों हाथों से परोसें।
  • श्राद्ध के भोजन में प्याज – लहसुन का प्रयोग न करें।
  • जो सब्जियां जमीन के अंदर से उगती हैं उन्हें ब्राह्मणों को नहीं खिलाना चाहिए।
  • श्राद्ध सुबह या दोपहर से पूर्व ही करना चाहिए तथा दोपहर के बाद श्राद्ध नहीं करना चाहिए।
  • श्राद्ध पक्ष में पितरों के निमित्त ​जो भी शुभ काम किए जाते हैं, उससे उन्हें तृप्ति मिलती है। अतः यथाशक्ति भोजन, वस्त्र आदि वितरित करें।

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