नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप सप्तश्लोकी दुर्गा सप्तशती / Saptashloki Durga Saptashati PDF प्राप्त कर सकते हैं। सप्तश्लोकी दुर्गा सप्तशती माता दुर्गा जी को समर्पित सात श्लोकों की एक दिव्य स्तुति है। हिन्दू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सप्तश्लोकी दुर्गा सप्तशती, श्री दुर्गा सप्तशती ग्रन्थ का लघु रूप है।
विद्द्वानों के अनुसार जो भी व्यक्ति प्रतिदिन सप्तश्लोकी दुर्गा सप्तशती का नियमित पाठ करते हैं, उन्हें सम्पूर्ण श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ का लाभ व पुण्य प्राप्त होता है। श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से व्यक्ति के ऊपर श्री दुर्गा माता की विशेष कृपा होती है तथा उसके समस्त संकटों का नाश होता है।
सप्तश्लोकी दुर्गा सप्तशती पाठ | Saptashloki Durga Saptashati Path PDF
देवि त्वं भक्तसुलभे सर्वकार्यविधायिनी।
कलौ हि कार्यसिद्धयर्थमुपायं ब्रूहि यत्रतः॥
देव्युवाच
श्रृणु देव प्रवक्ष्यामि कलौ सर्वेष्टसाधनम्।
मया तवैव स्नेहेनाप्यम्बास्तुतिः प्रकाश्यते॥
विनियोगः
ॐ अस्य श्रीदुर्गासप्तश्लोकीस्तोत्रमन्त्रस्य नारायण ऋषिः अनुष्टप् छन्दः,
श्रीमह्मकाली महालक्ष्मी महासरस्वत्यो देवताः,
श्रीदुर्गाप्रीत्यर्थं सप्तश्लोकीदुर्गापाठे विनियोगः।
ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हिसा।
बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति॥
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः
स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्र्यदुःखभयहारिणि त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता॥
सर्वमंगलमंगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते॥
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तुते॥
सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तुते॥
रोगानशोषानपहंसि तुष्टा रूष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्माश्रयतां प्रयान्ति॥
सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्र्वरि।
एवमेव त्वया कार्यमस्यद्वैरिविनाशनम्॥
॥इति श्रीसप्तश्लोकी दुर्गा संपूर्णम्॥
सप्तश्लोकी दुर्गा सप्तशती पाठ विधि | How to recite Saptashloki Durga Saptashati
- सर्वप्रथम प्रातः स्नान आदि करके स्वच्छ हो जाएँ।
- अब पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएँ।
- एक लकड़ी की चौकी रखें।
- उस चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं।
- अब उस पर देवी माँ की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- तत्पश्चात सप्तश्लोकी दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
- पाठ संपन्न होने पर देवी माँ की आरती करें।
- अंत में माता दुर्गा से आशीर्वाद ग्रहण करें।
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