सम्प्रेषण

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप सम्प्रेषण PDF / Sampreshan in Hindi PDF प्राप्त कर सकते हैं। तथ्यों, विचारों, सोच और सूचना का मौखिक लिखित या संकेतों अथवा मुद्राओं के माध्यम से दो या दो से अधिक व्यक्तियों के मध्य सूचना, विचार और अनुभवों के आदान-प्रदान को सम्प्रेषण कहते हैं।
सम्प्रेषण का आरम्भ मानव जीवन के आरम्भ के ही साथ हो गया था तथा जीवन के अंत तक सम्प्रेषण मानव जीवन में अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। सम्प्रेषण की प्रक्रिया में समय – समय पर परिवर्तन होता रहता है अतः आवश्यकता के अनुसार उसका रूप भी परिवर्तित होता रहता है। यदि आप इसके बारे में और अधिक जानना चाहते हैं तो पीडीऍफ़ डाउनलोड करें।

सम्प्रेषण PDF / Sampreshan in Hindi PDF

सम्प्रेषण की विशेषताएँ एवं महत्व
सम्प्रेषण की मुख्य विशेषताएँ एवं महत्व निम्नलिखित हैं –

  • सम्प्रेषण एक उद्देश्यपूर्ण प्रक्रिया है।
  • सम्प्रेषण एक गत्यात्मक प्रक्रिया है।
  • सम्प्रेषण दो पक्षीय होता है एक संदेश भेजने वाला और दूसरा संदेश ग्रहण करने वाला होता है लेकिन शिक्षण प्रक्रिया में तीन पक्ष होते हैं।
  • सम्प्रेषण की प्रक्रिया में अनुभवों की साझेदारी होती है।
  • सम्प्रेषण एक पारस्परिक सम्बंध स्थापित करने की प्रक्रिया है।
  • सम्प्रेषण में ‘विचार विनिमय’ तथा विचार विमर्श आवश्यक हैं।
  • सम्प्रेषण ‘ज्ञान स्थानान्तरण’ करने की प्रक्रिया है।
  • सम्प्रेषण की प्रक्रिया एवं तत्व

सम्प्रेषण के प्रकार / Sampreshan Ke Prakar PDF

सम्प्रेषण के निम्न प्रकार हैं जो नीचे दिये गए हैं –
सम्प्रेषण के प्रकार
शैक्षिक सम्प्रेषण
शिक्षण के आधार पर सम्प्रेषण को दो भागों में बाँटा गया है –

  1. वैयक्तिक सम्प्रेषण
  2. सामूहिक सम्प्रेषण

वैयक्तिक सम्प्रेषण 
शिक्षक जब एक छात्र को भौतिक रूप से शिक्षण देता है तो ऐसी शिक्षण वैयक्तिक शिक्षण कहलाती है। अर्थात जब शिक्षक बालक को अलग – अलग शिक्षण देता है तो ऐसी शिक्षण को वैयक्तिक सम्प्रेषण कहते हैं।
वैयक्तिक सम्प्रेषण के गुण

  • यह विधि सीखने के व्यक्तिगत सिद्धान्त पर आधारित है।
  • इसमे छात्र क्रियाशील रहते हैं।
  • यह विधि पूर्ण रूप से बालकेन्द्रित होता है।
  • इस विधि में बालक के आवश्यकताओं एवं रुचियों का विशेष ध्यान रखा जाता है।
  • यह विधि मंद बुद्धि बालक एवं प्रखर बुद्धि बालक दोनों के लिए उपयोगी होता है।

वैयक्तिक सम्प्रेषण के दोष

  • सभी छात्रों के लिए व्यक्तिगत शिक्षक की व्यवस्था करना असम्भव कार्य है।
  • यह विधि अत्यन्त खर्चीली है।
  • इस विधि के द्वारा बालकों का सामाजिक विकास नहीं हो पाता है।
  • इस विधि में प्रेरणा, प्रतिस्पर्धा, प्रोत्साहन आदि का अभाव होता है।
  • यह विधि अव्यवहारिक होता है।

सामूहिक सम्प्रेषण / Samuhik Sampreshan PDF

सामूहिक सम्प्रेषण से अभिप्राय कक्षा शिक्षण से है। इस विधि में अलग – अलग मानसिक योग्यता वाले छात्रों के अलग अलग समूह बना लिए जाते हैं। इन समूहों को कक्षा कहते हैं। और इन कक्षाओं में शिक्षक, शिक्षण कार्य करते हैं।

सामूहिक सम्प्रेषण के गुण / Samuhik Sampreshan Ke Gun

  • यह विधि व्यावहारिक होती है।
  • यह विधि कम खर्चीली होती है।
  • इस विधि के द्वारा बालकों में अनुकरण की भावना उत्पन्न होती है।
  • इस विधि में छात्रों के द्वारा सुझाव एवं नवीन ज्ञान प्राप्त होते हैं।
  • यह विधि संकोची एवं लज्जाशील बालकों के लिए अधिक उपयोगी है।

सामूहिक सम्प्रेषण के दोष / Samuhik Sampreshan Ke Dosh

  • इस विधि में शिक्षक अधिक सक्रिय होते हैं लेकिन छात्र निष्क्रिय अवस्था में होते हैं।
  • इस विधि मे शिक्षण बालकेन्द्रित न होकर कक्षा केन्द्रित होता है।
  • यह विधि मनोवैज्ञानिक नहीं होता है।
  • इस विधि मे बालकों की वैयक्तिक समस्याओं का ध्यान नहीं रखा जाता है।
  • इस विधि से प्रखर – बुद्धि बालकों का हित नहीं हो पाता है।

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