नमस्कार भक्तों, आज हम आपके जीवन में परिवर्तन लाने वाली चमत्कारी रवि प्रदोष व्रत कथा pdf / Ravi Pradosh Vrat Katha PDF का वर्णन यहाँ कर रहे हैं, जिसके प्रभाव से आप अनेक प्रकार के लाभ उठा सकते हैं। न केवल भक्तगण रवि प्रदोष व्रत कथा हिंदी में पढ़ते हैं बल्कि रवि प्रदोष व्रत कथा मराठी में भी अत्यधिक लोकप्रिय है। जिस प्रकार एक वर्ष में २४ एकादशी होती हैं ठीक उसी प्रकार प्रतिवर्ष २४ प्रदोष व्रत भी होते हैं। किसी भी माह की त्रियोदशी तिधि को प्रदोष व्रत किया जाता है तथा यह प्रदोष किसको समर्पित है ये उस (वार) दिन से निश्चित किया जाता है जिस वार पर त्रियोदशी तिथि पड़ रही है। अतः सोमवार को आने वाले प्रदोष को सोम प्रदोष व्रत, मंगल वार को आने वाले प्रदोष को मंगल प्रदोष व्रत तथा रविवार को पड़ने वाले प्रदोष को रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है। रवि प्रदोष व्रत को शारीरिक स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यधिक अनुकूल व लाभदायक माना जाता है। जो भी मनुष्य रवि प्रदोष व्रत विधि – विधान से संपन्न करता है उसपर भगवन भगवान् सूर्यदेव की विशेष कृपा होती है तथा उस व्यक्ति की ख्याति दूर – दूर तक फैलती है। यदि आप भी अपने जीवन में एक नयी ऊर्जा का संचार करना चाहते हैं, तो नीचे दिए हुए रविवार प्रदोष व्रत कथा / Ravivar Pradosh Vrat Katha pdf download लिंक पर जाकर निशुल्क प्राप्त कर खुद भी पढ़ें व औरों को भी रवि प्रदोष व्रत कथा सुनाएं। ।
रवि प्रदोष व्रत कथा (कहानी) इन हिंदी / Ravi Pradosh Vrat Katha in Hindi :
एक समय सर्व प्राणियों के हितार्थ परम पावन भागीरथी के तट पर ऋषि समाज द्वारा विशाल गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस सभा में व्यासजी के परम शिष्य पुराणवेत्ता सूतजी महाराज हरि कीर्तन करते हुए पधारे।सूतजी को आते हुए देखकर शौनकादि 88,000 ऋषि-मुनियों ने खड़े होकर उन्हे दंडवत प्रणाम किया। महाज्ञानी सूतजी ने भक्तिभाव से ऋषियों को हृदय से लगाया तथा आशीर्वाद दिया। विद्वान ऋषिगण और सब शिष्य आसनों पर विराजमान हो गए।शौनकादि ऋषि ने पूछा- हे पूज्यवर महामते! कृपया यह बताने का कष्ट करें कि मंगलप्रद, कष्ट निवारक यह व्रत सबसे पहले किसने किया और उसे क्या फल प्राप्त हुआ।
श्री सूतजी बोले- आप सभी शिव के परम भक्त हैं, आपकी भक्ति को देखकर मैं व्रती मनुष्यों की कथा कहता हूं। ध्यान से सुनो।एक गांव में अति दीन ब्राह्मण निवास करता था।उसकी साध्वी स्त्री प्रदोष व्रत किया करती थी। उसे एक ही पुत्ररत्न था। एक समय की बात है, वह पुत्र गंगा स्नान करने के लिए गया। दुर्भाग्यवश मार्ग में चोरों ने उसे घेर लिया और वे कहने लगे कि हम तुम्हें मारेंगे नहीं, तुम अपने पिता के गुप्त धन के बारे में हमें बता दो। बालक दीनभाव से कहने लगा कि बंधुओं! हम अत्यंत दु:खी दीन हैं।हमारे पास धन कहां है?तब चोरों ने कहा कि तेरे इस पोटली में क्या बंधा है? बालक ने नि:संकोच कहा कि मेरी मां ने मेरे लिए रोटियां दी हैं।यह सुनकर चोरों ने अपने साथियों से कहा कि साथियों! यह बहुत ही दीन-दु:खी मनुष्य है अत: हम किसी और को लूटेंगे। इतना कहकर चोरों ने उस बालक को जाने दिया। बालक वहां से चलते हुए एक नगर में पहुंचा। नगर के पास एक बरगद का पेड़ था। वह बालक उसी बरगद के वृक्ष की छाया में सो गया। उसी समय उस नगर के सिपाही चोरों को खोजते हुए उस बरगद के वृक्ष के पास पहुंचे और बालक को चोर समझकर बंदी बना राजा के पास ले गए।राजा ने उसे कारावास में बंद करने का आदेश दिया। ब्राह्मणी का लड़का जब घर नहीं लौटा, तब उसे अपने पुत्र की बड़ी चिंता हुई।
अगले दिन प्रदोष व्रत था। ब्राह्मणी ने प्रदोष व्रत किया और भगवान शंकर से मन-ही-मन अपने पुत्र की कुशलता की प्रार्थना करने लगी। भगवान शंकर ने उस ब्राह्मणी की प्रार्थना स्वीकार कर ली।उसी रात भगवान शंकर ने उस राजा को स्वप्न में आदेश दिया कि वह बालक चोर नहीं है, उसे प्रात:काल छोड़ दें अन्यथा उसका सारा राज्य-वैभव नष्ट हो जाएगा। प्रात:काल राजा ने शिवजी की आज्ञानुसार उस बालक को कारावास से मुक्त कर दिया। बालक ने अपनी सारी कहानी राजा को सुनाई। सारा वृत्तांत सुनकर राजा ने अपने सिपाहियों को आदेश देकर उस बालक के घर भेजा और उसके माता-पिता को राजदरबार में बुलाया।उसके माता-पिता बहुत ही भयभीत थे। राजा ने उन्हें भयभीत देखकर कहा कि आप भयभीत न हो आपका बालक निर्दोष है। राजा ने ब्राह्मण को 5 गांव दान में दिए जिससे कि वे सुखपूर्वक अपना जीवन व्यतीत कर सकें। भगवान शिव की कृपा से ब्राह्मण परिवार आनंद से रहने लगा।
अत: जो भी मनुष्य रवि प्रदोष व्रत करता है, वह प्रसन्न व निरोग होकर अपना पूर्ण जीवन व्यतीत करता है।
रवि प्रदोष व्रत विधि / Ravi Pradosh Vrat Ki Vidhi :
- रवि प्रदोष व्रत का पालन करने वाले व्यक्ति को प्रातः उठकर स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ हो जाना चाहिए।
- तत्पश्चात पूजा स्थल को स्वच्छ कर सूर्यदेव, भगवान शिव व देवी पार्वती का आवाहन करें।
- अब भगवान शिव को बेल पत्र तथा सूर्यदेव को अक्षत , फूल, धूप , दीप, लाल चंदन, फल, पान, सुपारी आदि अर्पित करें।
- माता पार्वती की भी विधिवत पूजा – अर्चना करें।
- तदोपरांत परिवारजनों के साथ बैठकर रवि प्रदोष व्रत कथा सुनाइए।
- प्रदोष व्रत कथा आरती सहित ही करनी चाहिए।
- अब आरती करें तथा स्वयं के व परिवारजनों के कल्याण की कामना करें।
रवि प्रदोष व्रत कथा के लाभ / Ravivar Pradosh Vrat Katha Benefits in Hindi :
- रवि प्रदोष व्रत का पालन करने वाले व्यक्ति के जीवन में सुख – शांति का संचार होता है।
- रविवार प्रदोष व्रत श्री सूर्यदेव को समर्पित होता है अतः इस व्रत के फलस्वरूप व्यक्ति सूर्य के समान तेजस्वी व ऊर्जावान हो जाता है।
- यदि आपकी कुंडली में सूर्य की अन्तर्दशा या महादशा चल रही है, तो रविवार प्रदोष व्रत का नियमित पालन करने से आप नकारात्मक परिणाम से बच सकते हैं।
- सूर्यदेव समस्त ग्रहों में एक विशिष्ट स्थान है अतः रवि प्रदोष व्रत के प्रभाव से समाज में व्यक्ति का मान – सम्मान का बढ़ता है।
- इस व्रत के प्रभाव से विभिन्न प्रकार के रोगों का नाश होता है विशेषतः नेत्र सम्बन्धी विकारों में इसका विशेष प्रभाव होता है।
यदि आप भी समाज में अपना विशेष स्थान बनाना चाहते हैं, तो इस व्रत का विधिवत पालन अवश्य करें तथा रवि प्रदोष व्रत कथा pdf / Ravi Pradosh Vrat Katha PDF निशुल्क प्राप्त करने के लिए नीचे दिए हुए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें।