नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप रंग पंचमी की कथा / Rang Panchami Ki Katha PDF प्राप्त कर सकते हैं। रंग पंचमी के साथ ही होली का पर्व समाप्त हो जाता है। यह त्योहार मुख्य रूप से महाराष्ट्र, गुजरात , मध्य प्रदेश और कोंकण में मुख्य रूप से मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन हवा में रंग उड़ान से सकारात्मक गुणों का प्रवाह होता है और नकारात्मक गुण समाप्त होते हैं।
यदि आप रंग पंचमी की कथा के संदर्भ में विस्तार से जानना चाहते हों तो इस लेख के माध्यम से आप जान सकते हैं तथा रंग पंचमी के अवसर पर इस पर्व का अपने मित्रगण एवं परिवार के साथ इस पर्व का आनंद ले सकते हैं। अनेकों स्थानों पर स्थानीय मान्यताओं के अनुसार भी रंग पंचमी का पर्व मनाया जाता है।
रंग पंचमी की कहानी / Rang Panchami Ki Kahani in Hindi
एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान् रामचंद्र जी फाल्गुन के महीने में अपने को तेरह वर्षों के दीर्घ वनवास के दौरान चंदेरी को पार कर इस भूमि को पवित्र किया। इसी कारण, रंग पंचमी होली के पाँच दिनों के उपरान्त करीला की एक पहाड़ी के शीर्ष पर फाल्गुन माह में मनाया जाता है। यह उत्सव बेदिया जाति की महिलाओं, बेदनी, द्वारा राय नृत्य के प्रदर्शन के साथ गोधूलि बेला में आरम्भ होता है, जिसमें पुरषों द्वारा ज्वलंत मशालों को ऊपर पकड़ा रखा जाता है। चंदेरी और उसके आसपास के क्षेत्रों से पाँच लाख से अधिक पुरुष इस बड़े उत्सव के देखने के लिए आते हैं। भारत के विभिन्न स्थानों पर होली से भी अधिक रंग पंचमी पर रंग खेलने की परंपरा है।
अनेक स्थानों पर धुलेंडी पर गुलाल लगाकर होली खेली जाती है, तो रंग पंचमी पर अत्यधिक रंगों का प्रयोग कर रंगों का त्यौहार मनाया जाता है। विशेषतः मध्यप्रदेश में होली के साथ – साथ रंग पंचमी पर होली खलेने की परंपरा अत्यधिक पौराणिक हैं। इस दिन मालवावासियों की रंग पंचमी की गेर की टोलियाँ सड़कों पर निकलती हैं तथा एक-दूसरे को रंग लगाकर इस त्यौहार की प्रसन्न्ताओं को साझा करती हैं।
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