राम नवमी 2023 व्रत कथा । Ram Navami 2023 Vrat Katha Hindi PDF Download
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PDF Name | राम नवमी 2023 व्रत कथा |
No. of Pages | 7 |
Category | Religion & Spirituality |
Source | https://coderegimetech.com/ |
PDF Size | 746 Kb |
Language | हिंदी |
Download Link | Yes |
Downloads | 1241 |
सभी भक्तजनों को प्यार भरा नमस्कार, आज हम आपके लिये लेकर आये हैं राम नवमी 2023 व्रत कथा । Ram Navami 2023 Vrat Katha PDF In Hindi अगर आप राम नवमी की व्रत कथा और पूजा विधि पाना चाहते हैं तो आप सही जगह पर आये हैं। आप राम नवमी की व्रत कथा की PDF भी फ्री में डाउनलोड कर सकते हैं।
हर वर्ष रामनवमी, भगवान विष्णु के 7वे अवतार के रूप में राम जी के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाता है राम नवमी, जिसे भगवान राम के जन्म के रूप में भी जाना जाता है, इस वर्ष गुरुवार, 30 मार्च को मनाई जा रही है। रामनवमी का शुभ पर्व चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन मान्य जाता है।
चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से आरंभ हो रही औ 30 मार्च तक मनाई जाएगी। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था। और इसलिए, इस दिन को प्रत्येक वर्ष भगवान राम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम का जन्म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था। द्रिक पंचांग के अनुसार, छह घटियों (लगभग 2 घंटे और 24 मिनट) तक चलने वाला मध्याह्न रामनवमी पूजा अनुष्ठान करने का सबसे शुभ समय है।
राम नवमी 2023 व्रत कथा । Ram Navami 2023 Vrat Katha PDF In Hindi
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्री राम, माता सीता और भगवान लक्ष्मण वनवास जा रहे थे उस वक्त प्रभु श्रीराम विश्राम करने के लिए थोड़ी देर रुके। जहां भगवान विश्राम कर रहे थे वहीं पास में एक बुढ़िया रहती थी। भगवान श्री राम, लक्ष्मण और माता सीता उस बुढ़िया के घर गए। उस वक्त बुढ़िया सूत काट रही थी। बुढ़िया ने श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता का आदर पूर्वक स्वागत किया और उन्हें स्नान ध्यान करवाकर भोजन करने के कहा। यह सुनकर श्रीराम ने उस बुढ़िया से कहा कि ‘माता’ मेरा हंस भी बहुत भूखा है, इसके लिए पहले मोती ला दो। फिर मैं बाद में भोजन करूंगा।
यह सुनकर बुढ़िया बहुत परेशान हो गई। लेकिन बुढ़िया अपने घर आए मेहमानों का निरादर नहीं करना चाहती थी, इस वजह से वह दौड़ते दौड़ते अपने नगर के राजा के पास गई और उससे उधार में मोती देने को कहा। बुढ़िया की हैसियत नहीं थी राजा को मोती लौट आने की लेकिन फिर भी बुढ़िया पर तरस खाकर राजा ने उसे मोती दे दी। बुढ़िया दौड़ते हुए उस मोती को लाकर भगवान श्री राम के हंस को खिला दिया।
हंस को खाना खिलाने के बाद बुढ़िया ने भगवान श्रीराम को भी भोजन कराया। भोजन करने के बाद भगवान श्रीराम जाते समय बुढ़िया के आंगन में एक मूर्ति का पेड़ लगा गए। जब पेड़ बड़ा हो गया तो उसमें बहुत सारे मोती होने लगें। लेकिन बुढ़िया को इस मोती के बारे में कुछ पता नहीं था। जब पेड़ से मोती गिरता था, तो उसकी पड़ोसी उसे उठाकर ले जाती थी।
एक दिन की बात है बुढ़िया उसी पेड़ के नीचे बैठकर सूत काट रही थी, तभी पेड़ से एक मोती गिरा। बुढ़िया ने तुरंत मोती को उठा लिया और उसे राजा के पास ले गई। बुढ़िया के पास इतने सारे मोती देखकर राजा को हैरानी हुई। राजा ने बुढ़िया से पूछा कि तुम्हारे पास इतने मोती कहां से आएं। तब बुढ़िया ने अपने राजा को बताया कि उसके आंगन में एक मोती का पेड़ हैं।
यह सुनकर राजा ने तुरंत उस पेड़ को अपने आंगन में लगवा लिया। लेकिन भगवान श्री राम की कृपा से राजा के आंगन में लगा हुआ मोती का पेड़ में मोती के बजाय कांटे लगने लगें। एक दिन उसी पेड़ का एक कांटा रानी के पैर में चुभ गया। रानी के पैर में कांटा चुभने के बाद उन्हें बहुत पीड़ा हुई। वह चिल्लाते-चिल्लाते राजा के पास गई। यह देखकर राजा ने उस पेड़ को फिर से बुढ़िया के आंगन में लगवा दिया। प्रभु श्री राम की कृपा से पेड़ में फिर से मोती लगने लगें। अब जब पेड़ से मोती गिरता बुढ़िया उसे उठाकर प्रभु के प्रसाद के रूप में सभी को बांट देती थी।
राम नवमी पूजा मंत्र
रामनवमी के शुभ दिन पर इन 5 मंत्र में से कोई भी एक मंत्र का जप करें भगवान् की कृपा रही तो सभी मनोकामनाए पूर्ण होंगी
- राम मंत्र रामनवमी के दिन पूजा के लिए राम नाम का मंत्र का जप करे
- यह नाम अपने आप में पूर्ण है इस मंत्र को तारक मंत्र के नाम से जाना जाता है
- ॐ रामचन्द्राय नम मंत्र: अगर आपके घर में क्लेश हो रहे है ऐसे में रामनवमी पर इस मंत्र का प्रयोग करके पूजा करे
- क्योकि यह मंत्र क्लेश दूर के लिए काफी प्रभावशाली माना गया है
- श्रीराम जय राम जय जय राम: यह मंत्र बहुत ही प्रभावशाली है
- इस मन्त्र का जप शुची अशुचि अवस्था में जप सकते है
- ॐ नमः शिवाय, ॐ हं हनुमंते श्री रामचन्द्राय नम: इस मंत्र को जपने से एक साथ कई कार्य में सफलता प्राप्त होती है
- खासकर स्त्रिया भी इस मंत्र का जप कर सकती है
- ॐ रामाय धनुष्पाणाये स्वाहा: शत्रु शमन, न्यायलय, मुक़दमे इत्यादि समस्या से मुक्ति समाधान होता है
राम नवमी पूजा विधि । Ram Navami Puja Vidhi 2023 PDF
हर वर्ष चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि को श्री राम जी के नवमी के रूप में मनाया जाता है राम नवमी पूजा विधि निम्न है-
- रामनवमी के दिन राम नवमी पूजा करने का सरल उपाय
- रामनवमी के दिन श्री राम जी की पूजा के लिए स्नान करे
- और पूजा की समाग्री एकत्रित करें
- इसके बाद साफ़ सुथरे वस्त्र को धारण करे पवित्र होकर पूजा गृह को शुध्द करें
- इसके बाद पूजा स्थान पर रामनवमी पूजा समग्री के साथ बैठ जाए
- चौकी/लकड़ी के पटरा पर लाल कपडे का वस्त्र बिछा दे
- अब श्री राम जी मूर्ति इस पर स्थापित कर देना है साथ ही श्री राम दरबार की तस्वीर रखकर सजा दे
- पूजा के पुष्प जैसे कमल का फुल, तुलसी का पत्ता इत्यादि रखे
- श्रीराम जी को जो खाने में जो सबसे लोकप्रिय है खीर और फल मूल को प्रसाद के रूप में रखे
- इसके बाद राम नवमी पूजा मंत्र का जप करे पूजा विधि सम्पूर्ण करें
- जब पूजा पूरी हो जाए उसके बाद घर की छोटी महिला/लड़की को/घर के सभी सदस्यों के माथे पर तिलक करे
- अधिक लाभ के लिए सुन्दरकांड, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, रामरक्षा स्रोत्र इत्यादि का पाठ करें
रामनवमी तिथि
- चैत्र मास 2023 की नवमी तिथि आरंभ: 29 मार्च 2023, रात्रि 09:07 मिनट से
- चैत्र मास 2023 की नवमी तिथि समाप्त: 30 मार्च 2023, रात्रि11:30 पर
रामनवमी 2023: शुभ मुहूर्त
- इस वर्ष राम नवमी का पर्व गुरुवार, 30 मार्च, 2023 को मनाया जाएगा।
- रामनवमी मध्याह्न मुहूर्त: प्रातः 11:11 मिनट से शुरू होकर दोपहर 01: 40 मिनट तक
श्री राम स्तुति
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भव भय दारुणं।
नव कंजलोचन, कंज मुख, कर कंज, पद कंजारुणं।।
कंन्दर्प अगणित अमित छबि नवनील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमि जनक सुतवरं।।
भजु दीनबंधु दिनेश दानव दैत्यवंश निकन्दंन ।
रघुनन्द आनंदकंद कौशलचन्द दशरथ नन्दनं ।।
सिरा मुकुट कुंडल तिलक चारू उदारु अंग विभूषां ।
आजानुभुज शर चाप धर सग्राम जित खरदूषणमं ।।
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनं ।
मम ह्रदय कंच निवास कुरु कामादि खलदल गंजनं ।।
मनु जाहिं राचेउ मिलहि सो बरु सहज सुन्दर साँवरो ।
करुना निधान सुजान सिलु सनेहु जानत रावरो।।
एही भाँति गौरि असीस सुनि सिया सहित हियँ हरषीं अली ।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनिपुनि मुदित मन मन्दिरचली।।
दोहा
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे।।
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