राधा अष्टमी व्रत कथा | Radha Ashtami Vrat Katha & Pooja Vidhi

दोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आये हैं राधा अष्टमी व्रत कथा PDF / Radha Ashtami Vrat Katha Hindi PDF अपलोड किया हैं। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधाष्टमी के नाम से जाना जाता है। यह इस साल 14 सितम्बर 2021 यानी कल मनाया जाएगा। पुराणों में कहा जाता है कि राधा जी वृषभानु के यज्ञ से इस दिन प्रकट हुई थीं। इस त्योहार को लगातार 16 दिनों तक मनाया जाता है और महिलायें लगातार 16 दिन व्रत का पालन करती हैं। माना जाता है कि जो श्रद्धालु भगवान कृष्ण के लिए जन्माष्टमी का व्रत करते हैं। उन्हें श्री राधा रानी के लिए राधा अष्टमी का व्रत भी जरूर करना चाहिए अन्यथा जन्माष्टमी के व्रत को पूर्ण नहीं होता है। यहाँ से आप राधा अष्टमी व्रत पूजा विधि PDF / Radha Ashtami Vrat Pooja Vidhi Hindi PDF मुफ्त में बड़ी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।

राधा अष्टमी व्रत कथा PDF | Radha Ashtami Vrat Katha Hindi PDF

राधाष्टमी कथा, राधा जी के जन्म से संबंधित है. राधाजी, वृषभानु गोप की पुत्री थी.  राधाजी की माता का नाम कीर्ति था. पद्मपुराण में राधाजी को राजा वृषभानु की पुत्री बताया गया है. इस ग्रंथ के अनुसार जब राजा यज्ञ के लिए भूमि साफ कर रहे थे तब भूमि कन्या के रुप में इन्हें राधाजी मिली थी. राजा ने इस कन्या को अपनी पुत्री मानकर इसका लालन-पालन किया।
इसके साथ ही यह कथा भी मिलती है कि भगवान विष्णु ने कृष्ण अवतार में जन्म लेते समय अपने परिवार के अन्य सदस्यों से पृथ्वी पर अवतार लेने के लिए कहा था, तब विष्णु जी की पत्नी लक्ष्मी जी, राधा के रुप में पृथ्वी पर आई थी. ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार राधाजी, श्रीकृष्ण की सखी थी. लेकिन उनका विवाह रापाण या रायाण नाम के व्यक्ति के साथ सम्पन्न हुआ था. ऎसा कहा जाता है कि राधाजी अपने जन्म के समय ही वयस्क हो गई थी. राधाजी को श्रीकृष्ण की प्रेमिका माना जाता है।

राधा अष्टमी व्रत पूजा विधि PDF | Radha Ashtami Pooja Vidhi in Hindi PDF

  • राधाष्टमी के दिन प्रात:काल उठकर घर की साफ-सफाई करनी चाहिए।
  • नित्य कार्यों से निवृत्त होकर स्नान के बाद शुद्ध अंत:करण से व्रत का संकल्प लें।
  • इसके बाद श्री राधारानी को पंचामृत से स्नान कराएं। स्नान के पश्चात उनका श्रृंगार करें।
  • श्री राधारानी की प्रतीक मृर्ति को स्थापित करें।
  • श्री राधारानी और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा धूप-दीप और फल-फूल आदि से करनी चाहिए।
  • इसके बाद उन्हें पंचामृत चढ़ाएं और आरती आदि करने के बाद अंत में श्रीराधा-कृष्ण को प्रसाद आदि का भोग लगाएं।
  • इस दिन निराहार व्रत करना चाहिए। तथा संध्या आरती करने के पश्चात फलाहार करना चाहिए।

राधा अष्टमी व्रत महत्त्व | Radha Ashtami Vrat Mahatv

वेदों और पुराणों में राधा जी को कृष्ण वल्लभा करकर बोला जाता है। मान्यता है कि राधाष्टमी की कथा श्रवण से व्यक्ति की वृत्ति सुधर जाती है और वह सुखी और सर्वगुण संपन्न हो जाता है। श्रीराधा जी के जाप और स्मरण से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह भी माना जाता है कि, श्रीकृष्ण के साथ यदि राधा जी की पूजा नहीं की जाती है तो भगवान श्रीकृष्ण उस पूजा को स्वीकार नहीं करते हैं। श्रीराधा रानी भगवान श्रीकृष्ण के प्राणों की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं। अत: श्रीकृष्ण जी के साथ में श्रीराधारानी का भी पूजन विधि पूर्वक करना चाहिए।
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