प्रदोष व्रत कथा | Pradosh Vrat Katha

दोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आएं हैं Pradosh Vrat Katha Hindi PDF / प्रदोष व्रत कथा PDF हिंदी भाषा में जिसमे आपको व्रत कथा, पूजा विधि, आरती, महत्त्व और बहुत कुछ पढ़ने को मिलेगा। स्कंद पुराण के अनुसार प्रत्येक माह की दोनों पक्षों की त्रयोदशी के दिन संध्याकाल के समय को “प्रदोष” कहा जाता है और इस दिन शिवजी को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। शिव संग शक्ति यानी माता पार्वती की पूजा की जाती है, जो साधक के जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करते हुए उसका कल्याण करती हैं। प्रदोष व्रत भगवान शिव के साथ चंद्रदेव से जुड़ा है। मान्यता है कि प्रदोष का व्रत सबसे पहले चंद्रदेव ने ही किया था. माना जाता है श्राप के कारण चंद्र देव को क्षय रोग हो गया था। तब उन्होंने हर माह में आने वाली त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत रखना आरंभ किया था जिसके शुभ प्रभाव से चंद्रदेव को क्षय रोग से मुक्ति मिली थी। इस पोस्ट में आप प्रदोष व्रत कथा पीडीऍफ़ हिंदी में डाउनलोड कर सकते हो। इस पोस्ट में हमने आपके लिए Pradosh Vrat Katha Hindi PDF / प्रदोष व्रत कथा PDF डाउनलोड करने के लिए डायरेक्ट लिंक भी दिया हैं।
प्रदोष व्रत का महत्व और पूजा दिन और वार के अनुसार बदल जाता है।भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत किया जाता है। एकादशी व्रतों की तरह ही इस व्रत का भी विशेष महत्व माना गया है। ये व्रत प्रत्येक मास की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। पंचांग अनुसार इस समय बैशाख मास का शुक्ल पक्ष चल रहा है।

प्रदोष व्रत कथा PDF | Pradosh Vrat Katha Hindi PDF

स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक विधवा ब्राह्मणी अपने पुत्र को लेकर भिक्षा लेने जाती और संध्या को लौटती थी। एक दिन जब वह भिक्षा लेकर लौट रही थी तो उसे नदी किनारे एक सुन्दर बालक दिखाई दिया जो विदर्भ देश का राजकुमार धर्मगुप्त था। शत्रुओं ने उसके पिता को मारकर उसका राज्य हड़प लिया था। उसकी माता की मृत्यु भी अकाल हुई थी। ब्राह्मणी ने उस बालक को अपना लिया और उसका पालन-पोषण किया।
कुछ समय पश्चात ब्राह्मणी दोनों बालकों के साथ देवयोग से देव मंदिर गई। वहां उनकी भेंट ऋषि शाण्डिल्य से हुई। ऋषि शाण्डिल्य ने ब्राह्मणी को बताया कि जो बालक उन्हें मिला है वह विदर्भदेश के राजा का पुत्र है जो युद्ध में मारे गए थे और उनकी माता को ग्राह ने अपना भोजन बना लिया था। ऋषि शाण्डिल्य ने ब्राह्मणी को प्रदोष व्रत करने की सलाह दी। ऋषि आज्ञा से दोनों बालकों ने भी प्रदोष व्रत करना शुरू किया।
एक दिन दोनों बालक वन में घूम रहे थे तभी उन्हें कुछ गंधर्व कन्याएं नजर आई। ब्राह्मण बालक तो घर लौट आया किंतु राजकुमार धर्मगुप्त “अंशुमती” नाम की गंधर्व कन्या से बात करने लगे। गंधर्व कन्या और राजकुमार एक दूसरे पर मोहित हो गए, कन्या ने विवाह हेतु राजकुमार को अपने पिता से मिलवाने के लिए बुलाया। दूसरे दिन जब वह पुन: गंधर्व कन्या से मिलने आया तो गंधर्व कन्या के पिता ने बताया कि वह विदर्भ देश का राजकुमार है। भगवान शिव की आज्ञा से गंधर्वराज ने अपनी पुत्री का विवाह राजकुमार धर्मगुप्त से कराया। इसके बाद राजकुमार धर्मगुप्त ने गंधर्व सेना की सहायता से विदर्भ देश पर पुनः आधिपत्य प्राप्त किया। यह सब ब्राह्मणी और राजकुमार धर्मगुप्त के प्रदोष व्रत करने का फल था। स्कंदपुराण के अनुसार जो भक्त प्रदोषव्रत के दिन शिवपूजा के बाद एक्राग होकर प्रदोष व्रत कथा सुनता या पढ़ता है उसे सौ जन्मों तक कभी दरिद्रता नहीं होती।

प्रदोष व्रत कथा पूजा विधि और शुभ मुहूर्त | Pradosh Vrat Katha Pooja Vidhi and Shubh Muhurt

इस दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान कर व्रत का संकल्प लें। भगवान शिव का अभिषेक करें। उन्हें उनकी प्रिय वस्तुओं का भोग लगाएं। व्रत रखने वाले लोग इस दिन फलाहार ग्रहण करते हैं। प्रदोष व्रत की पूजा शाम को प्रदोष काल यानी की गोधूली बेला में करना उचित माना गया है। प्रदोष की पूजा करते समय साधक को भगवान शिव के मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का पाठ करना चाहिए। इसके बाद शिवलिंग पर दूध, जल और बेलपत्र चढ़ाना चाहिए। इस दिन शिव चालीसा पढ़ना भी उत्तम माना गया है। विधि विधान पूजा के बाद शिव आरती करें और प्रसाद सभी में बांटकर खुद भी ग्रहण कर लें।

प्रदोष व्रत कथा 2021 लिस्ट | Pradosh Vrat 2021 List

जनवरी 2021 में प्रदोष व्रत
10 जनवरी- प्रदोष व्रत
26 जनवरी- भौम प्रदोष व्रत
फरवरी 2021 में प्रदोष व्रत
09 फरवरी- भौम प्रदोष व्रत
24 फरवरी- प्रदोष व्रत
मार्च 2021 में प्रदोष व्रत
10 मार्च- प्रदोष व्रत
26 मार्च- प्रदोष व्रत
अप्रैल 2021 में प्रदोष व्रत
09 अप्रैल- प्रदोष व्रत
24 अप्रैल- शनि प्रदोष
मई 2021 में प्रदोष व्रत
08 मई- शनि प्रदोष
24 मई- सोम प्रदोष व्रत
जून 2021 में प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2021)
07 जून- सोम प्रदोष व्रत
22 जून- भौम प्रदोष
जुलाई 2021 में प्रदोष व्रत
07 जुलाई- प्रदोष व्रत
21 जुलाई- प्रदोष व्रत
अगस्त 2021 में प्रदोष व्रत
05 अगस्त- प्रदोष व्रत
20 अगस्त- प्रदोष व्रत
सितंबर 2021 में प्रदोष व्रत
04 सितंबर- शनि प्रदोष
18 सितंबर- शनि प्रदोष व्रत
अक्टूबर 2021 में प्रदोष व्रत
04 अक्टूबर- सोम प्रदोष
17 अक्टूबर- प्रदोष व्रत
नवंबर 2021 में प्रदोष व्रत
02 नवंबर- भौम प्रदोष
16 नवंबर- भौम प्रदोष
दिसंबर 2021 में प्रदोष व्रत
02 दिसंबर- प्रदोष व्रत
31 दिसंबर- प्रदोष व्रत
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