प्रभुम प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप प्रभुम प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं PDF प्राप्त कर सकते हैं। शिव के प्रशंसा में अनेकों अष्टकों की रचना हुई है जिसमें शिवाष्टक का विशेष महत्व है। शिवाष्टकों की संख्या भी कम नहीं है। भगवान शिव को प्रिय शिवाष्टक आदि गुरू शंकराचार्य द्वारा रचित है। यह शिवाष्टक आठ पदों में विभाजित है जिसकी स्तुति परंब्रह्म शिव की आराधन का एक उत्तम साधन है।
शिव के इस स्तोत्र की महिमा स्वयं शंकराचार्य ने भी कही है। शास्त्रों के अनुसार शिव को प्रिय शिवाष्टक स्तोत्र का पाठ और श्रवण मनुष्य को हर बुरी परिस्थितियों से शीघ्र ही मुक्ति दिलाता है। सावन के महीने में शिव की इस स्तुति का सस्वर पाठ भाग्यहीन व्यक्ति को भी सौभाग्यशाली बनाता है। आप भी अपने कष्टों से छुटकारा पाने के लिए इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।
अगर शिव भक्त श्रद्धा भाव से शिव पंचाक्षर स्तोत्र तथा शिव सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करते हैं तो उनके जीवन में सुख-शांति हमेशा बनी रहती है। भक्तजन अगर हमेशा शिव हरे शिव राम सखे प्रभु का पाठ गाते रहें तो बड़ा आनंद मिलता है। शिव जी बड़े ही भोले हैं उन्हें प्रसन्न करने के लिए शिवाष्टक स्तोत्र का जाप करना चाहिए। अपने सभी कष्टों का निवारण करने के लिए शिव रुद्राष्टकम का गायन भी करना चाहिए।

प्रभुम प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं PDF

प्रभुं प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं जगन्नाथनाथं सदानंद भाजां |

भवद्भव्य भूतेश्वरं भूतनाथं शिवं शंकरं शंभुमीशानमीडे || १ ||

गळे रुंडमालं तनौ सर्पजालं महाकालकालं गणेशाधिपालां |

जटाजूटगंगोत्तरंगैर्विशिष्यं शिवं शंकरं शंभुमीशानमीडे || २ ||

मुदामाकरं मंडनं मंडयंतं महामंडलं भस्मभूषाधरं तं |

अनादिंह्यपारं महामोहमारं शिवं शंकरं शंभुमीशानमीडे || ३ ||

वटाधो निवासं महाट्टाट्टहासं महापापनाशं सदा सुप्रकाशं |

गिरीशं गणेशं सुरेशं महेशं शिवं शंकरं शंभुमीशानमीडे || ४ ||

गिरींद्रात्मजा संगृहीतार्थदेहं गिरौसंस्थितं सर्वदा सन्नगेहं |

परब्रह्म ब्रह्मादिभिर्वंद्यमानं शिवं शंकरं शंभुमीशानमीडे || ५ ||

कपालं त्रिशूलं कराभ्यां दधानं पदांभोजनम्राय कामं ददानं |

बलीवर्धयानां सुराणां प्रधानं शिवं शंकरं शंभुमीशानमीडे || ६ ||

शरच्चंद्र गात्रं गणानंद पात्रं त्रिनेत्रं धनेशस्य मित्रं |

अपर्णा कलत्रं सदा सच्चरित्रं शिवं शंकरं शंभुमीशानमीडे || ७ ||

हरं सर्पहारं चिताभूविहारं भवं वेदसारं सदा निर्विकारं |

स्मशाने वसंतं मनोजं दहंतं शिवं शंकरं शंभुमीशानमीडे || ८ ||

स्वयं यः प्रभाते नरश्शूलपाणेः पठेत् स्तोत्ररत्नं त्विहप्राप्यरत्नं |

सपुत्रं सुधान्यं समित्रं कळत्रं विचित्रैः समाराध्य मोक्षं प्रयाति || फलशृति ||

शिव जी की आरती | Shiv Aarti Lyrics in Hindi PDF

ॐ जय शिव ओंकारा, भोले हर शिव ओंकारा।

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥

ॐ हर हर हर महादेव…॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे।

हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥

ॐ हर हर हर महादेव..॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।

तीनों रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥

ॐ हर हर हर महादेव..॥

अक्षमाला बनमाला मुण्डमाला धारी।

चंदन मृगमद सोहै भोले शशिधारी ॥

ॐ हर हर हर महादेव..॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥

ॐ हर हर हर महादेव..॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता।

जगकर्ता जगभर्ता जगपालन करता ॥

ॐ हर हर हर महादेव..॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।

प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका ॥

ॐ हर हर हर महादेव..॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी।

नित उठि दर्शन पावत रुचि रुचि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥

ॐ हर हर हर महादेव..॥

लक्ष्मी व सावित्री, पार्वती संगा ।

पार्वती अर्धांगनी, शिवलहरी गंगा ।।

ॐ हर हर हर महादेव..।।

पर्वत सौहे पार्वती, शंकर कैलासा।

भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा ।।

ॐ हर हर हर महादेव..।।

जटा में गंगा बहत है, गल मुंडल माला।

शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ।।

ॐ हर हर हर महादेव..।।

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥

ॐ हर हर हर महादेव..॥

ॐ जय शिव ओंकारा भोले हर शिव ओंकारा

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्द्धांगी धारा ।।

ॐ हर हर हर महादेव….।।…

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