नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप फुलेरा दूज की कथा / Phulera Dooj Ki Katha PDF प्राप्त कर सकते हैं। फुलेरा दूज भारत में मनाये जाने वाले सर्वाधिक लोकप्रिय त्योहारों में से एक हैं। फुलेरा दूज पर भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है और अपने ईष्ट देव को गुलाल चढ़ाया जाता है। इस दिन राधा-कृष्ण को अबीर-गुलाल अर्पित किया जाता है।
इस दिन से होली के रंगों की शुरुआत भी होती है। साथ ही फुलेरा दूज के दिन रंगीन कपड़े का छोटा सा टुकड़ा श्रीकृष्ण की कमर पर बांध दिया जाता है, जो इस बात का संकेत है कि कृष्ण अब होली खेलने के लिए तैयार हैं। यदि आप भी फुलेरा दूज के रंगभरे पर्व को मानना चाहते हैं तो इससे जुडी कथा के सन्दर्भ में अवश्य पढ़ें।
फुलेरा दूज की कथा / Phulera Dooj Ki Katha PDF
राधा रानी को प्रकृति और प्रेम की देवी माना जाता है। कहा जाता है कि एक बार श्रीकृष्ण काम में व्यस्त होने की वजह से लंबे समय तक राधारानी से मिलने नहीं जा सके। राधा रानी के साथ ही गोपियां भी इस बात से काफी दुखी हो गईं और उनकी नाराजगी का असर प्रकृति में दिखने लगा। पुष्प और वन सूखने लगे। प्रकृति का नजारा देखकर श्रीकृष्ण को राधा की हालत का अंदाजा लग गया। इसके बाद वे बरसाना पहुंचकर राधारानी से मिले।
इससे राधारानी प्रसन्न हो गईं और चारों ओर फिर से हरियाली छा गई। श्रीकृष्ण ने एक फूल तोड़ा और राधारानी पर फेंक दिया। इसके बाद राधा ने भी कृष्ण पर फूल तोड़कर फेंक दिया। फिर गोपियों ने भी एक दूसरे पर फूल फेंकने शुरू कर दिए। हर तरफ फूलों की होली शुरू हो गई। वो दिन था फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि। तब से इस दिन को फुलेरा दूज के नाम से जाना जाने लगा।
पंचांग के अनुसार इस साल फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 3 मार्च, गुरुवार को रात 09 बजकर 36 मिनट से शुरू होगी और 4 मार्च, शुक्रवार को रात 08 बजकर 45 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में फुलेरा दूज को उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए 04 मार्च को मनाया जाएगा।
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