लखनवी अंदाज पाठ के लेखक श्री यशपाल जी हैं इन्होनें व्यंगात्मक दृष्टि इस पाठ की रचना की है । लखनवी अंदाज पाठ में लेखक बताता है कि वह भीड़ से बचने के लिए दूसरे दर्जे की टिकट लेकर रेलगाड़ी के एक डिब्बे में सवार हुआ। डिब्बे में उन्होंने देखा कि एक लखनऊ के नवाबों जैसा भद्र व्यक्ति पहले से ही बैठा था और उसने अपने पास खीरे रखे हुए थे। उस भद्र पुरुष के चेहरे पर लेखक को चिंता और संकोच का भाव दिखाई देता है।
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