नवरात्रि हवन मंत्र | Navratri Havan Mantra

दोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आये हैं नवरात्रि हवन मंत्र PDF / Navratri Havan Mantra PDF in Hindi इन मन्त्रों का उच्चारण हवं करते समय किया जाता हैं। यदि आप भी नवरात्रि के समय अपने घर पर हवन करना चाहते हैं, तो यहाँ दी हुई नवरात्रि हवन विधि pdf के माध्यम से दुर्गा हवन मंत्र का उच्चारण करते हुए घर पर ही देवी दुर्गा की प्रसन्नता हेतु दुर्गा नवरात्रि हवन कर सकते हैं। यहां दी हुई विधि बहुत सरल व उपयोगी है, इसलिए इसे कोई भी आसानी से कर सकता है। इस पोस्ट में दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप हवन मंत्र PDF / Navratri Havan Mantra in Hindi PDF बड़ी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।
नवरात्रि में हर दिन अलग-अलग माताओं की पूजा की जाती हैं। नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री माता की पूजा की जाती है तो दुसरा दिन  ब्रह्मचारिणी माता की पूजा का होता है। वहीं नवरात्रि का तीसरा दिन को चंद्रघंटा माता समर्पित होता है। नवरात्रि के चौथे दिन माँ कुष्मांडा देवी आराधना की जाती है। नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता का ध्यान करते हुए उनका के साथ जाप किया जाता है। नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि के सातवें दिन कालरात्रि माता का विधिवत पूजन अवश्य करें तथा कालरात्रि माता की कथा व आरती भी अवश्य गायें। नवरात्रि के आठवें दिन पूर्ण विधि – विधान से महागौरी माता का पूजन करना चाहिए। सिद्धिदात्री माता जी का पूजन नवरात्रि के नवें अथवा अंतिम दिन किया जाता है।
नवरात्रि के समय देवी दुर्गा अपने भक्तों के घर में नौ दिनों तक वास करती हैं। बहुत से साधक नवरात्रि के समय अलग – अलग तरह की साधनायें करते हैं। दुर्गा माँ को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि का समय सबसे अच्छा होता है।

नवरात्रि हवन मंत्र PDF | Navratri Havan Mantra PDF in Hindi

ओम गणेशाय नम: स्वाहा
ओम गौरियाय नम: स्वाहा
ओम नवग्रहाय नम: स्वाहा
ओम दुर्गाय नम: स्वाहा
ओम महाकालिकाय नम: स्वाहा
ओम हनुमते नम: स्वाहा
ओम भैरवाय नम: स्वाहा
ओम कुल देवताय नम: स्वाहा
ओम स्थान देवताय नम: स्वाहा
ओम ब्रह्माय नम: स्वाहा
ओम विष्णुवे नम: स्वाहा
ओम शिवाय नम: स्वाहा

हवन मंत्र PDF | Navratri Havan Mantra in Hindi PDF

ओम जयंती मंगलाकाली, भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमस्तुति स्वाहा। ओम ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा। ओम गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा।ओम शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते।
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