Dear readers, here we are offering Nataraja Stotram PDF in Sanskrit to all of you. This hymn is by Sage Patanjali, the author, and compiler of the famous yoga sutra. Once upon a time, as the story of the origin of the hymn goes, Nandi, Shiva’s carrier would not allow Patanjali Muni to have Darshan of Lord Shiva who is also known as Nataraja of Chidambaram. Below we have given a direct download link for नटराज स्तुति PDF / Natraj Stuti PDF in Sanskrit.
In order to reach Lord Shiva, Patanjali, with his mastery over grammatical forms, spontaneously composed this prayer in praise of the Lord without using any extended to tease Nandi. Shiva was quickly pleased, gave Darshan to the devotee, and danced to the lilting tune of this hymn.
Nataraja Stotram PDF in Sanskrit
॥ अथ-चरणशृङ्गरहित-नटराजस्तोत्रम् ॥
सदञ्चित मुदञ्चित निकुञ्चित पदं झलझलञ्चलित मञ्जु कटकम्
पतञ्जलि दृगञ्जन मनञ्जन मचञ्चलपदं जनन भञ्जन करम् ।
कदम्बरुचिमम्बरवसं परमम्बुद कदम्ब कविडम्बक कगलम्
चिदम्बुधि मणिं बुध हृदम्बुज रविं पर चिदम्बर नटं हृदि भज ॥ १॥
हरं त्रिपुर भञ्जनं अनन्तकृतकङ्कणं अखण्डदय मन्तरहितं
विरिञ्चिसुरसंहतिपुरन्धर विचिन्तितपदं तरुणचन्द्रमकुटम् ।
परं पद विखण्डितयमं भसित मण्डिततनुं मदनवञ्चन परं
चिरन्तनममुं प्रणवसञ्चितनिधिं पर चिदम्बर नटं हृदि भज ॥ २॥
अवन्तमखिलं जगदभङ्ग गुणतुङ्गममतं धृतविधुं सुरसरित्-
तरङ्ग निकुरम्ब धृति लम्पट जटं शमनदम्भसुहरं भवहरम् ।
शिवं दशदिगन्तर विजृम्भितकरं करलसन्मृगशिशुं पशुपतिं
हरं शशिधनञ्जयपतङ्गनयनं परचिदम्बर नटं हृदि भज ॥ ३॥
अनन्तनवरत्नविलसत्कटककिङ्किणिझलं झलझलं झलरवं
मुकुन्दविधि हस्तगतमद्दल लयध्वनिधिमिद्धिमित नर्तन पदम् ।
शकुन्तरथ बर्हिरथ नन्दिमुख शृङ्गिरिटिभृङ्गिगणसङ्घनिकटम्
सनन्दसनक प्रमुख वन्दित पदं परचिदम्बर नटं हृदि भज ॥ ४॥
अनन्तमहसं त्रिदशवन्द्य चरणं मुनि हृदन्तर वसन्तममलम्
कबन्ध वियदिन्द्ववनि गन्धवह वह्निमख बन्धुरविमञ्जु वपुषम् ।
अनन्तविभवं त्रिजगन्तर मणिं त्रिनयनं त्रिपुर खण्डन परम्
सनन्द मुनि वन्दित पदं सकरुणं पर चिदम्बर नटं हृदि भज ॥ ५॥
अचिन्त्यमलिवृन्द रुचि बन्धुरगलं कुरित कुन्द निकुरम्ब धवलम्
मुकुन्द सुर वृन्द बल हन्तृ कृत वन्दन लसन्तमहिकुण्डल धरम् ।
अकम्पमनुकम्पित रतिं सुजन मङ्गलनिधिं गजहरं पशुपतिम्
धनञ्जय नुतं प्रणत रञ्जनपरं पर चिदम्बर नटं हृदि भज ॥ ६॥
परं सुरवरं पुरहरं पशुपतिं जनित दन्तिमुख षण्मुखममुं
मृडं कनक पिङ्गल जटं सनकपङ्कज रविं सुमनसं हिमरुचिम् ।
असङ्घमनसं जलधि जन्मकरलं कवलयन्त मतुलं गुणनिधिम्
सनन्द वरदं शमितमिन्दु वदनं पर चिदम्बर नटं हृदि भज ॥ ७॥
अजं क्षितिरथं भुजगपुङ्गवगुणं कनक शृङ्गि धनुषं करलसत्
कुरङ्ग पृथु टङ्क परशुं रुचिर कुङ्कुम रुचिं डमरुकं च दधतमं ।
मुकुन्द विशिखं नमदवन्ध्य फलदं निगम वृन्द तुरगं निरुपमं
सचण्डिकममुं झटिति संहृतपुरं परचिदम्बर नटं हृदि भज ॥ ८॥
अनङ्गपरिपन्थिनमजं क्षिति धुरन्धरमलं करुणयन्तमखिलं
ज्वलन्तमनलं दधतमन्तकरिपुं सततमिन्द्रमुखवन्दितपदम् ।
उदञ्चदरविन्दकुल बन्धुशत बिम्बरुचि संहति सुगन्धि वपुषं
पतञ्जलिनुतं प्रणवपञ्चर शुकंपर चिदम्बर नटं हृदि भज ॥ ९॥
इति स्तवममुं भुजगपुङ्गव कृतं प्रतिदिनं पठति यः कृतमुखः
सदः प्रभुपद द्वितयदर्शनपदं सुललितं चरण शृङ्ग रहितम् ।
सरःप्रभव सम्भव हरित्पति हरिप्रमुख दिव्यनुत शङ्करपदं
स गच्छति परं न तु जनुर्जलनिधिं परमदुःखजनकं दुरितदम् ॥ १०॥
॥ इति श्रीपतञ्जलिमुनिप्रणीतं चरणशृङ्गरहित नटराजस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
नटराज स्तुति | Natraj Stuti PDF
नित होत नाद प्रचंडना
नटराज राज नमो नमः…
शिर ज्ञान गंगा चंद्रमा चिद्ब्रह्म ज्योति ललाट मां
विषनाग माला कंठ मां
नटराज राज नमो नमः…
तवशक्ति वामांगे स्थिता हे चंद्रिका अपराजिता
चहु वेद गाए संहिता
नटराज राज नमोः…