नमस्कार पाठकों, इस लेख माध्यम से आप नाग देवता की पूजा विधि / Nag Devta Ki Puja Vidhi PDF प्राप्त कर सकते हैं। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं में नाग देवता को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। नाग देवता के पूजन से जीवन में आने वाले विभिन्न प्रकार कष्टों का निवारण होता है तथा व्यक्ति को सुख – सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष है तथा कालसर्प के कारण होने वाली परेशानियों से वह पीड़ित हो चुके हैं तो आपको नियमित रूप से नाग देवता की प्रतिदिन पूजा करनी चाहिए। यदि आप प्रतिदिन नाग देवता की पूजा करने में सक्षम नहीं हैं, तो कम से कम सोमवार के दिन तो आपको नाग देवता का पूजन करना ही चाहिए।
नाग देवता की पूजा विधि | Nag Devta Ki Puja Vidhi PDF
- नाग पंचमी के दिन अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट, शंख, कालिया और पिंगल नामक देव नागों की पूजा की जाती है.
- पूजा में हल्दी, रोली, चावल और फूल चढ़ाकर नागदेवता की पूजा करें. कच्चे दूध में घी और चीनी मिलाकर नाग देवता को अर्पित करें.
- इसके बाद नाग देवता की आरती उतारें और मन में नाग देवता का ध्यान करें.
- अंत में नाग पंचमी की कथा अवश्य सुनें.
नाग देवता आरती | Nagdev Aarti Lyrics in Hindi
आरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की।
उग्र रूप है तुम्हारा देवा भक्त, सभी करते है सेवा ।।
मनोकामना पूरण करते, तन-मन से जो सेवा करते।
आरती कीजे श्री नाग देवता की , भूमि का भार वहनकर्ता की ।।
भक्तों के संकट हारी की आरती कीजे श्री नागदेवता की।
आरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की ।।
महादेव के गले की शोभा ग्राम देवता मै है पूजा।
श्ररेत वर्ण है तुम्हारी धव्जा ।।
दास ऊकार पर रहती क्रपा सहसत्रफनधारी की।
आरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की ।।
आरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की ।।
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