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Moral Stories for Children with Photos Hindi PDF
बच्चे और उनके दादाजी
एक गाँव में दो चतुर बच्चे अपने माता-पिता के साथ रहते थे। एक दिन उनके दादाजी उनके साथ रहने के लिए आए। वह एक नाविक रह चुके थे। बच्चों को उनसे कहानियाँ सुनना अच्छा लगता था।
वह उन्हें बताते, कैसे वह समुद्री डाकुओं से लड़े। धीरे-धीरे दादाजी कहानियाँ सुनाकर ऊब गए। वह अपने हमउम्र लोगों से बातें करना चाहते थे। गाँव के पास ‘नाविक की वापसी’ नामक एक सराय थी।
बच्चों ने दादाजी को उसके बारे में बताते हुए कहा-“आपको वहाँ जाना चाहिए। वह नाविकों से भरा रहता है।” लेकिन दादाजी ने कहा-” अब मैं नए दोस्त नहीं बना सकता।”
बच्चों ने उस सराय के मालिक के बच्चों को बताया-“हमारे दादाजी एक नाविक थे। वह समुद्री डाकुओं और गड़े हुए खजाने की बहुत सी कहानियाँ जानते हैं और यह भी जानते हैं कि डाकुओं ने खज़ाना कहाँ छुपाया था।”
जल्दी ही, दादाजी को सराय से निमंत्रण आने लगे। दादाजी अब अपना समय सराय में बिताने लगे और वह अब यहाँ पर खुश थे। बच्चे भी खुश थे क्योंकि अब दादाजी हमेशा उनके साथ ही रहने वाले थे।
गरीब भक्त
एक गाँव में एक निर्धन व्यक्ति रहता था। वह इतना निर्धन था कि मुश्किल से अपने परिवार के लिए एक वक्त का खाना जुटा पाता था। लेकिन उसने कभी अपनी निर्धनता की शिकायत किसी से नहीं की।
उसके पास जो कुछ था, वह उसी में संतुष्ट था। वह देवी का बहुत बड़ा भक्त था। इसीलिए वह पूजा करने के लिए हमेशा मंदिर जाता था। मंदिर जाने के बाद ही वह अपने कार्य पर जाता था।
एक दिन देवी को अपने इस गरीब भक्त पर दया आ गई। इसलिए एक दिन सुबह-सुबह देवी ने अपनी दिव्य शक्ति से मंदिर के बाहर एक सोने के सिक्कों से भरा थैला रख दिया।
वह भक्त मंदिर आया और आँखें बंद करके मंदिर के चारों ओर देवी का ध्यान करते हुए परिक्रमा करने लगा। आँखें बंद होने के कारण वह सोने के सिक्कों से भरा थैला नहीं देख पाया और यूँ ही चला गया। यह देखकर देवी ने सोचा, ‘समय से पहले और भाग्य से अधिक किसी को कुछ नहीं मिलता।’.
अपनी मदद आप स्वयं करते हैं
एक बार एक धनी व्यापारी व्यापार के उद्देश्य से पानी के जहाज द्वारा अपने शहर से दूसरे शहर जा रहा था। वह अपने साथ कीमती रत्न एवं सोने के सिक्कों से भरा एक संदूक भी ले जा रहा था।
रास्ते में तूफान आ गया। जहाज इधर-उधर हिलोरें लेने लगा। कुछ घंटों के बाद तूफान तो थम गया, लेकिन जहाज की तली में एक छेद हो गया। अब जहाज में पानी भरने लगा।
यह देखकर कुछ लोग जहाज में ही डूब गए और कुछ सौभाग्यशाली तैरकर किनारे पहुँच गए। यह देखकर व्यापारी ने प्रार्थना करनी शुरू की, “हे भगवान! कृपा करके मेरा जीवन बचा लो।”
एक व्यक्ति व्यापारी के पास गया और बोला, “कूदो और तैरकर समुद्र के किनारे पहुँचो। भगवान उसकी मदद करता है जो अपनी मदद स्वयं करते हैं।” लेकिन व्यापारी ने उसकी एक न सुनी।
वह जहाज में ही रहा। थोड़ी देर में जहाज डूब गया और वह व्यापारी भी जहाज के साथ डूबकर अकाल मृत्यु का ग्रास बना।
कड़वा सच
जंगल के राजा शेर के जन्मदिन के अवसर पर सभी पशु-पक्षी आमंत्रित शेर की माँद में एक विशाल भोज की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थीं। सभी पशु-पक्षी सज-धजकर नियत समय पर समारोह में पहुँचे।
समारोह में गधे को छोड़कर सभी पशु-पक्षी आए थे। शेर ने केक काटा और सभी ने जन्मदिन का गीत गाया। उसके बाद सभी ने भोज का आनंद लिया। शेर को गधे के आने की पूरी उम्मीद थी, लेकिन वह नहीं आया। तब शेर ने सोचा।
‘हो न हो, किसी जरूरी कार्य की वजह से गधा नहीं आ पाया होगा।’ अगले दिन जब शेर गधे से मिला तो उसने गधे से इस विषय में पूछा। गधा बोला, “मुझे समारोह आदि में जाने से नफरत है।
मुझे घर पर रहकर आराम करना ही अधिक पंसद है।” गधे ने शेर से सत्य ही कहा था, जो कि कड़वा था। गधे की बात सुनकर शेर को बहुत गुस्सा आया और उसने गधे को जंगल से निष्कासित कर दिया।
तभी से गधा आदमी के साथ रह रहा है और उसका बोझ उठाने को विवश है। उसकी यह दशा एक कड़वा सच कहने के कारण हुई। किसी ने ठीक ही कहा है कि सच हमेशा कड़वा होता है।
बुद्धिमान किसान
एक दिन एक किसान मेले से अपने घर लौट रहा था। उसने मेले से एक भैंस ने खरीदी थी। जब वह घने जंगल से होकर गुजर रहा था, एक डाकू उसका रास्ता रोक लिया। उसके हाथ में एक मोटा-सा डंडा था।
वह बोला, “तुम्हारे पास जो कुछ भी है, वह सब मुझे दे दो।” । किसान डर गया। उसने अपने सारे पैसे डाकू को दे दिए। तब डाकू बोला, “अब मुझे तुम्हारी भैंस भी चाहिए।” यह सुनकर किसान ने भैंस की रस्सी भी भी डाकू के हाथ में दे दी।
फिर किसान बोला, “मेरे पास जो कुछ भी था, मैंने सब तुम्हें दे दिया। कृपा करके आप मुझे अपना डंडा दे दीजिए।” डाकू ने पूछा, ” लेकिन तुम्हें इसकी क्या आवश्यकता है?” वह बोला, “मैं यह डंडा अपनी पत्नी को दूंगा ।
यह डंडा देखकर वह बड़ी खुश होगी कि मैं मेले से उसके लिए कुछ तो लाया हूँ।” डाकू ने डंडा किसान को दे दिया। किसान ने बिना वक्त गंवाए डाकू को जोर-जोर से मारना शुरू कर दिया।
डाकू पैसे और भैंस छोड़कर वहाँ से भाग खड़ा हुआ। इस तरह से बुद्धिमान किसान ने अपना सामान डाकू से बचा लिया।
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