मार्गशीर्ष अमावस्या व्रत पूजा विधि | Margashirsha Amavasya Vrat Vidhi

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप मार्गशीर्ष अमावस्या व्रत पूजा विधि / Margashirsha Amavasya Vrat Vidhi PDF प्राप्त कर सकते हैं। मार्गशीर्ष अमावस्या व्रत एक ऐसा दिव्य व्रत है, जिसके माध्यम से आप सरलता से श्री हरी विष्णु भगवान् जी को प्रसन्न कर सकते हैं। श्री विष्णु जी को प्रसन्न करके आप समस्त प्रकार के भौतिक व मानसिक सुख प्राप्त कर सकते हैं।
यह एक सिद्ध व्रत है जिसके द्वारा आप श्री विष्णु जी को बहुत ही कम समय में प्रसन्न कर सकते हैं। इस व्रत को मार्गशीर्ष माह की अमावस्या तिथि के दिन किया जाता है, इसीलिए इस व्रत को मार्गशीर्ष अमावस्या व्रत कहा जाता है। भगवान् नारायण जी आप पर अपनी कृपा सदैव बनी रहे ऐसी हम कामना करते हैं।

मार्गशीर्ष अमावस्य पूजा विधि | Margashirsha Amavasya Pooja Vidhi PDF

  • इस दिन व्रत रखने के साथ साथ श्री सत्यनारायाण भगवान की पूजा व कथा करनी चाहिए।
  • इस दिन पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए या स्नान के पानी में गंगाजल मिश्रित कर लेना चाहिए।
  • इसके बाद सभी देवों की पूजा करें।
  • विशेष कर इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें और गीता का पाठ जरूर करें।
  • व्रत करने वाले लोगों को स्नान के बाद सभी पूजा की सामग्री के साथ पीपल के पेड़ के पास जाना चाहिए।
  • वहां जा कर पीपल के पेड़ के नीचे दूध या जल अर्पण करना चाहिए।
  • उसके बाद भगवान को फूल, अक्षत अर्पित करके भगवान की कथा सुननी चाहिए।

मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व | Significance of Margashirsha Amavasya Vrat in Hindi

  • शास्त्रों में उल्लेख है कि देवताओं से पहले पूर्वजों को प्रसन्न करना चाहिए।
  • अमावस्या पर विशेष रूप से पितरों की श्राद्ध और पूजन करना चाहिए।
  • मार्गशीर्ष अमावस्या को व्रत रखने से पितर प्रसन्न होते हैं और यदि किसी की कुंडली में पितृ दोष हो या संतान न हो तो ऐसे लोगों को अमावस्या के दिन व्रत-पूजन करना चाहिए।
  • विष्णु पुराण में उल्लेखित है कि अमावस्या का व्रत रखने से पितरों की आत्मा ही नहीं, बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, पशु-पक्षी और समस्त प्राणी तृप्त होते हैं।
  • अमावास्या पर किया गया दान मोक्ष की प्राप्ति कराता है।

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