Mahagauri Mata Ki Katha Hindi PDF Download
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PDF Name | महागौरी माता की कथा |
Language | Hindi |
PDF size | 749 Kb |
Category | Religion & Spirituality |
Source | https://coderegimetech.com/ |
Downloads | 1241 |
Download Link | Available |
No. of pages | 6 |
सभी भक्तों को नमस्कार इस पोस्ट के माध्यम से हम आपके सामने महागौरी माता की कथा । Mahagauri Mata Ki Katha PDF प्रस्तुत कर रहे हैं जैसा कि इतिहासकारों के अनुसार कहा जाता है कि नवरात्रि का उत्सव हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व रखता है नवरात्रों के आठवें दिन महागौरी माता की पूजा पूरे विधि विधान से की जाती है महागौरी माता की दया दृष्टि से व्यक्ति सुख शांति प्राप्त करता है महागौरी माता की व्रत कथा देवी माता महागौरी के स्वरूप को समर्पित हुई एक कथा है।
महागौरी माता के समर्पित रूप से आप महागौरी माता की महिमा के बारे में जान सकते हैं महागौरी माता का रूप बहुत अधिक सौम्य है तथा वह गौर वर्ण की है इसी कारण उनके भक्त माता महागौरी के रूप में पूजते हैं माता महागौरी की पूजा में महागौरी व्रत कथा का बहुत अधिक महत्व होता है महागौरी माता अपने भक्तों की सरल से सरल पूजा अर्चना विधि से प्रसन्न हो जाती हैं तथा उनकी मनोकामना पूर्ण करती हैं यदि आप सभी भक्तजन भी माता महागौरी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी व्रत कथा को अवश्य पढ़ें।
माता महागौरी व्रत कथा । Mata Mahagauri Vrat Katha PDF
नवरात्रि के आठवें दिन देवी महागौरी के रूप का पूजन किया जाता है। पौराणिक शिव पुराण की कथा के अनुसार, महागौरी जब मात्र आठ वर्ष की थी तभी से उन्हें अपने पूर्व जन्म की घटनाओं का स्पष्ट स्मरण होने लगा था। उसी समय से उन्होंने भगवान भोलेनाथ को अपने पति के रूप में मान लिया और शिवजी को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या करनी भी आरंभ कर दी जिसके चलते देवी ने वर्षों तक घोर तपस्या की। वर्षों तक निराहार तथा निर्जला तपस्या करने के कारण इनका शरीर काला पड़ गया। इनकी तपस्या को देखकर भगवान शिव प्रसन्न हो गए व उन्होंने इन्हें गंगा जी के पवित्र जल से पवित्र किया जिसके पश्चात् माता महागौरी विद्युत के समान चमक तथा कांति से उज्ज्वल हो गई। इसके साथ ही वह महागौरी के नाम से विख्यात हुई।
माता महागौरी की आरती । Mahagauri Mata Ki Aarti
जय महागौरी जगत की माया।
जया उमा भवानी जय महामाया॥
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरी वहां निवासा॥
चंद्रकली ओर ममता अंबे।
जय शक्ति जय जय माँ जगंदबे॥
भीमा देवी विमला माता।
कौशिकी देवी जग विख्यता॥
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती {सत} हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी माँ ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥
माता महागौरी की पूजा विधि । Mata Mahagauri ki Pooja Vidhi PDF
सबसे पहले चौकी पर माता महागौरी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
गंगाजल और गौमूत्र से शुद्धिकरण करें।
चौकी पर चांदी तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापित करें।
इसके बाद चौकी पर श्री गणेश, वरुण, नवग्रह षोडश मातृका, सप्त घृत मातृका की स्थापना भी करें।
इसके बाद व्रत और पूजा का संकल्प लें।
वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा महागौरी माता सहित समस्त देवी देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें।
इसमें आह्वान, आसन, आचमन, वस्त्र, मंगलसूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, धूप, दीप, फल पान दक्षिणा आरती प्रदक्षिणा मंत्र पुष्पांजलि, आदि।
सभी को प्रसाद बांटे और पूजा संपन्न करें।
अगर आप सभी भक्तजनों के घर अष्टमी की पूजा की जाती है तो आप पूजा के बाद कन्याओं को भोजन भी करा सकते हैं।
इसका संकेत शुभ फल देने वाला माना गया है।
महागौरी माता कवच। Mahagauri Mata kavach
ॐकारः पातु शीर्षो माँ, हीं बीजम् माँ, हृदयो।
क्लीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटम् कर्णो हुं बीजम् पातु महागौरी माँ नेत्रम् घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा माँ सर्ववदनो॥
माता महागौरी ध्यान मंत्र। Mata Mahagauri Dhyan Mantra
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा महागौरी यशस्विनीम्॥
पूर्णन्दु निभाम् गौरी सोमचक्रस्थिताम् अष्टमम् महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीयां लावण्यां मृणालां चन्दन गन्धलिप्ताम्॥
महागौरी माता प्रार्थना। Mahagauri Mata Prathana
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
Shwete Vrishesamarudha Shwetambaradhara Shuchih।
Mahagauri Shubham Dadyanmahadeva Pramodada॥
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