महाशिवरात्रि व्रत पूजा विधि | Maha Shivaratri Pooja Vidhi

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप महाशिवरात्रि व्रत पूजा विधि / Maha Shivaratri Pooja Vidhi PDF प्राप्त कर सकते हैं। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि के रूप में जाना जाता है। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवजी और माता पार्वती जी का विवाह महाशिवरात्रि के ही दिन हुआ था।
यदि आप शिव जो को प्रसन्न करना चाहते हैं तो महाशिवरात्रि के दिन पूर्ण विधि – विधान से किसी शिव मंदिर में जाकर उनका पूजन करें तथा जलाभिषेक भी करें। शिव जी की कृपा से व्यक्ति के जीवन में आने वाले समस्त प्रकार संकट कट जाते हैं तथा व्यक्ति अकाल मृत्यु के भय से भी मुक्त हो जाता है।

महाशिवरात्रि व्रत पूजा विधि / Maha Shivaratri Pooja Vidhi in Hindi PDF

  • पूजा करने से पहले अपने माथे पर त्रिपुंड लगाएं। इसके लिए चंदन या विभूत तीन उंगलियों पर लगाकर माथे के बायीं तरफ से दायीं तरफ की तरफ त्रिपुंड लगाएं।
  • शिवलिंग का दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक करें। आप चाहे तो खाली जल से भी शिव का अभिषेक कर सकते हैं।
  • अभिषेक करते हुए महामृत्युंजय मंत्र का जप करते रहना चाहिए।
  • शिव को बेलपत्र, आक-धतूरे का फूल, चावल, भांग, इत्र जरूर चढ़ाएं।
  • चंदन का तिलक लगाएं।
  • धूप दीपक जलाएं।
  • शिव के मंत्रों का जाप करें।
  • शिव चालीसा पढ़ें।
  • खीर और फलों का भोग लगाएं।
  • शिव आरती उतारें।
  • संभव हो तो रात्रि भर जागरण करें। घर के पास शिव मंदिर नहीं है तो आप घर पर ही मिट्टी के शिवलिंग बनाकर उनका पूजन कर सकते हैं।

महाशिवरती व्रत सामग्री लिस्ट / Maha Shivratri Puja Samagri PDF

  • बेलपत्र,
  • भांग,
  • धतूरा,
  • गाय का शुद्ध कच्चा दूध,
  • चंदन,
  • रोली,
  • केसर,
  • भस्म,
  • कपूर,
  • दही,
  • मौली यानी कलावा,
  • अक्षत् (साबुत चावल),
  • शहद,
  • मिश्री,
  • धूप,
  • दीप,
  • साबुत हल्दी,
  • नागकेसर,
  • पांच प्रकार के फल,
  • गंगा जल,
  • वस्त्र,
  • जनेऊ,
  • इत्र,
  • कुमकुम,
  • पुष्पमाला,
  • शमी का पत्र,
  • खस,
  • लौंग,
  • सुपारी,
  • पान,
  • रत्न-आभूषण,
  • इलायची,
  • फूल,
  • आसन,
  • पार्वती जी के श्रंगार की सामग्री,
  • पूजा के बर्तन और दक्षिणा।
  • इन सब चाजों का प्रबंध एक दिन पहले ही कर लें।

शिव जी आरती / Shiv Ji Aarti Lyrics in Hindi PDF

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।

त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।

चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।

जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।

प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।

नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।

कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥

महाशिवरात्रि का महत्व / Significance of Maha Shivratri

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव लिंग के स्वरुप में प्रकट हुए थे। इसके अलावा ऐसी भी मान्यता है कि इसी तिथि पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान सदाशिव ने परम ब्रह्म स्वरुप से साकार रूप धारण किया था। महाशिवरात्रि पर अविवाहित कन्याएं पूरे दिन उपवास रखते हुए शिव आराधना में लीन रहती है और भगवान शिव से योग्य वर की प्राप्ति के लिए कामना करती है। इसके साथ ही वैवाहिक जीवन जी रहे लोगों की जिंदगी में भी खुशियां बनी रहती हैं.महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने से सभी तरह के सुख और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
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