कुमाऊंनी होली गीत | Kumaoni Holi Song

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप कुमाऊंनी होली गीत / Kumaoni Holi Song PDF प्राप्त कर सकते हैं। होली का उत्सव सम्पूर्ण भारत मनाया जाता है। भारत के विभिन्न राज्यों में होली के गीत गाने की एक लोक परंपरा है तथा भिन्न – भिन्न स्थानों के अनुसार ही उस क्षेत्र के होली गीत भी अलग होते हैं।
इस लेख के माध्यम से आप अनेक प्रकार के कुमाऊंनी होली गीत पढ़ सकते हैं तथा अपनी होली को यादगार बना सकते हैं। उत्तराखंड में होली के शुरुआत, मंदिरों से होती है। मंदिरों मे भगवान शिव की प्रसिद्ध होली जरूर गाई जाती है। इस होली में कुमाऊंनी होली गीत का बहुत महत्व होता है जिनके गायन से देव भी प्रसन्न होते हैं।

कुमाऊंनी होली गीत / Kumaoni Holi Song Lyrics PDF

उत्तराखंड में होली के शुरुआत, मंदिरों से होती है। मंदिरों मे भगवान शिव की प्रसिद्ध होली जरूर गाई जाती है।

गीत  – 1

शिव के मन माही बसे काशी -2
आधी काशी में बामन बनिया,
आधी काशी में सन्यासी,

शिव के मन माही बसे काशी
काही करन को बामन बनिया,
काही करन को सन्यासी।।

शिव के मन माही बसे काशी
पूजा करन को बामन बनिया,
सेवा करन को सन्यासी,

शिव के मन माही बसे काशी
काही को पूजे बामन बनिया,
काही को पूजे सन्यासी।

शिव के मन माही बसे काशी
देवी को पूजे बामन बनिया,
शिव को पूजे सन्यासी,

शिव के मन माही बसे काशी।
क्या इच्छा पूजे बामन बनिया,
क्या इच्छा पूजे सन्यासी,

शिव के मन माही बसे काशी
नव सिद्धि पूजे बामन बनिया,
अष्ट सिद्धि पूजे सन्यासी।

शिव के मनमाही बसे काशी

 

गीत  – 2

जल कैसे भरू जमुना गहरी -2
जल कैसे भरू जमुना गहरी- 2
ठाड़ी भरू राजा राम जी देखे
हे ठाडी भरू राजा राम जी देखे
बैठी भरू भीजे चुनरी…….जल कैसे भरू जमुना गहरी

होली है ………..

जल कैसे भारू जमुना गहरी-2
धीरे चलू घर सास है बुढ़ी
हे धीरे चलू घर सास है बुढ़ी
धमकि चलु छलके गगरी…….जल कैसे भरू जमुना गहरी -2

जल कैसे भरू जमुना गहरी-2
गोदी पर बालक सिर पर गागर,
हे गोदी पर बालक सिर पर गागर
पर्वत से उतरी गोरी…जल कैसे भरू जमुना गहरी -2

जल कैसे भरू जमुना गहरी-2

गीत  – 3

जोगी आयो शहर में ब्योपारी -2

अहा !इस व्योपारी को भूख बहुत है,
पुरिया पकै दे नथ-वाली…….
जोगी आयो शहर में ब्योपारी । -2
अहा! इस ब्योपारी को प्यास बहुत है,
पनिया-पिला दे नथ वाली….
जोगी आयो शहर में ब्योपारी -2
अहा ! इस ब्योपारी को नींद बहुत है,
पलंग बिछाये नथ वाली ……
जोगी आयो शहर में ब्योपारी -2

गीत  – 4

गावैं ,खेलैं ,देवैं असीस, हो हो हो लख रे

बरस दिवाली बरसै फ़ाग, हो हो हो लख रे।

जो नर जीवैं, खेलें फ़ाग, हो हो हो लख रे।

आज को बसंत कृष्ण महाराज का घरा,

हो हो हो लख रे।

श्री कृष्ण जीरों लाख सौ बरीस,

हो हो हो लख रे।

यो गौं को भूमिया जीरों लाख सौ बरीस,

हो हो हो लख रे।

यो घर की घरणी जीरों लाख सौ बरीस,

हो हो हो लख रे।

गोठ की घस्यारी जीरों लाख सौ बरीस,

हो हो हो लख रे।

पानै की रस्यारी जीरों लाख सौ बरीस,

हो हो हो लख रे

गावैं होली देवैं असीस, हो हो हो लख रे॥

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