कोजागरी व्रत विधि | Kojagari Lakshmi Puja Vidhi

कोजागर व्रत देवी लक्ष्मी के लिए किया जाने वाला एक ऐसा व्रत है, जिसका पालन करने से व्यक्ति के जीवन से निर्धनता का नाश होता है तथा व्यक्ति के जीवन में आने वाली विभिन्न प्रकार की आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं। यदि आप अपने जीवन में आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं तो आपको भी इस व्रत का पालन अवश्य करना चाहिए।
कोजागरी पूजा करना बहुत आसान है तथा इस आप अपने घर में भी कर सकते हैं। हमने इस लेख में अपने पाठकों के लिए सम्पूर्ण कोजागरी व्रत पूजा विधि का वर्णन किया है। इस विधि का पालन करने से आप घर पर ही कोजागर लक्ष्मी पूजन कर सकते हैं। देवी लक्ष्मी की कृपा से आप अपने जीवन में विभिन्न प्रकार के भौतिक सुखों को प्राप्त कर सकते हैं।
 

कोजागरी पूजा विधि | Kojagara Puja Vidhi in Hindi

  • नारद पुराण के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा के दिन पीतल, चांदी, तांबे या सोने से बनी देवी लक्ष्मी की प्रतिमा को कपड़े से ढंककर पूजा किया जाता है।
  • सुबह देवी की पूजा समान्य तरीके से करने के बाद रात में चंद्रोदय के बाद फिर से की जाती है।
  • इस दिन रात 9 बजे के बाद चांदी के बर्तन में खीर बना कर चांद के निकलते ही आसमान के नीचे रख देनी चाहिए।
  • इसके पश्चात रात्रि में देवी के समक्ष घी के 100 दीपक जला दें।
  • इसके बाद देवी के मंत्र, आरती और विधिवत पूजन करना चाहिए।
  • कुछ समय बाद चांद की रोशनी में रखी हुई खीर का देवी लक्ष्मी को भोग लगाकर उसमें से ही ब्राह्मणों को प्रसाद स्वरूप दान देना चाहिए।
  • अगले दिन माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए और व्रत का पारण करना चाहिए।

 

कोजागरी पूर्णिमा का महत्व / Significance of Kojagari Purnima

कोजागरी पर्व शरद पूर्णिमा के दिन देश के विभिन्न हिस्सों में लोग अपनी-अपनी मान्यताओं और परंपराओं के अनुसार मनाते हैं। इस तिथि पर मध्य रात्रि या निशिथ काल में पूजा करने से देवी लक्ष्मी की कृपा होती है। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होता है और इस रात आसमान से अमृत की वर्षा होती है। देवी लक्ष्मी कोजागरी पूर्णिमा की रात पृथ्वी पर विचरण करती हैं और अपने भक्तों को धन-संपदा और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कोजागरी पूर्णिमा या शरद पूर्णिमा की रात्रि में माता लक्ष्मी जब धरती पर विचरण करती हैं तो ‘को जाग्रति’ शब्द का उच्चारण करती हैं. इसका अर्थ होता है कौन जाग रहा है। वो देखती हैं कि रात्रि में पृथ्वी पर कौन जाग रहा है। जो लोग माता लक्ष्मी की पूरी श्रद्धा से पूजा करते हैं, उनके घर मां लक्ष्मी जरुर जाती हैं।

कोजागरी पूजा का शुभ मुहूर्त / Kojagari Purnima 2021 Subh Muhurat

कोजागर पूजा मंगलवार, अक्टूबर 19, 2021 को
कोजागर पूजा निशिता काल – 11:41 पी एम से 12:31 ए एम, अक्टूबर 20
अवधि – 00 घण्टे 51 मिनट्स

कोजागरी व्रत कथा / Kojagari Vrat Katha

पौराणिक कथा के अनुसार एक साहुकार को दो पुत्रियां थीं। दोनो पुत्रियां पूर्णिमा का व्रत रखती थीं, लेकिन बड़ी पुत्री पूरा व्रत करती थी और छोटी पुत्री अधूरा व्रत करती थी। व्रत अधूरा रहने के कारण छोटी पुत्री की संतान पैदा होते ही मर जाती थी। अपना दुख जब उसने पंडित को बताया तो उन्होंने बताया कि व्रत अधूरा रखने के कारण ऐसा होता है तुम यदि पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक करने से तुम्हारी संतान जीवित रह सकती है।
इसके बाद उसने पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक किया और इसके पुण्य से उसे संतान की प्राप्ति हुई, लेकिन वह भी कुछ दिनों बाद मर गया। उसने लड़के को एक पीढ़ा पर लेटा कर ऊपर से कपड़ा ढंक दिया और फिर बड़ी बहन को बुला कर घर ले आई और बैठने के लिए वही पीढ़ा दे दिया। बड़ी बहन जब उस पर बैठने लगी जो उसका लहंगा बच्चे का छू गया। बच्चा लहंगा छूते ही रोने लगा। तब बड़ी बहन ने कहा कि तुम मुझे कलंक लगाना चाहती थी। मेरे बैठने से यह मर जाता। तब छोटी बहन बोली कि यह तो पहले से मरा हुआ था। तेरे ही भाग्य से यह जीवित हो गया। तेरे पुण्य से ही यह जीवित हुआ है। उसके बाद नगर में उसने पूर्णिमा का पूरा व्रत करने का ढिंढोरा पिटवा दिया। तब से ये दिन एक उत्सव के रुप में मनाया जाने लगा और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाने लगी।
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