नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप कालाष्टमी पूजा विधि PDF प्राप्त कर सकते हैं । कालभैरव भगवान के भक्त साल में दो तरह की कालाष्टमी व्रत रखते हैं पहली वार्षिक कलाष्टमी जो की वर्ष में एक बार आती है तथा दूसरी मासिक कलाष्टमी जो की हर माह में एक बार मनाई जाती है ।
कालाष्टमी व्रत करने से व्यक्ति को कालभैरव भगवान की कृपा प्राप्त होती है । वैसे तो कालभैरव भगवान को उग्र देवता माना जाता है, किन्तु यदि उनकी विधि – विधान से पूजा अर्चना की जाये तो व्यक्ति के सारे मनोरथ पूरे हो जाते हैं तथा उसे जीवन में मनचाहे परिणाम मिलने लगते हैं ।
कालाष्टमी की पूजा विधि / Kalashtami Puja Vidhi in Hindi
- इस दिन सुबह जल्दी उठें।
- नित्य कर्म एवं स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ- स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- इसके बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- घर के मंदिर में गंगाजल का छिड़काव करें।
- भगवान भैरव को फूल अर्पित करें।
- इस दिन भैरव बाबा का अधिक से अधिक ध्यान करें।
- भैरव चालीसा का पाठ करें।
- भैरव बाबा को भोग लगाएं।
- आप भैरव बाबा को फल, मिठाई, गुड से बनी चीजों का भोग लगा सकते हैं।
- भगवान भैरव की आरती करें।
श्री भैरव जी की आरती / Shri Bhairav Ji Ki Aarti
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा।
जय काली और गौरा देवी कृत सेवा।।
तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक।
भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक।।
वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी।
महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी।।
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे।
चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोंवे।।
तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी।
कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी।।
पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत।।
बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत।।
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावें।
कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावें।।
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