दोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आएं हैं कजरी तीज व्रत कथा PDF / Kajari Teej Vrat Katha Hindi PDF जिसमे आपको कजली तीज व्रत का महत्त्व, व्रत कथा, पूजा विधि, आरती आदि चीज़े पढ़ने को मिलेंगी। हर तीज का अपना अलग महत्व है और ये सभी बड़ी धूमधाम से यहाँ मनाई जाती है। तीज का महत्व औरतों के जीवन में बहुत अधिक होता है। इस कजली तीज व्रत कथा PDF में आपको बहुत सारी ज्ञान की बातें पढ़ने को मिलेगी जो आपके जीवन को सुख की और ले जाएगी। हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से पांचवे माह भादों के कृष्ण पक्ष की तीज को कजली कजरी तीज की तरह मनाया जाता है। इसमें महिलाएं मेंहदी, चूड़ी, नए कपड़े, गहने और गजरा लगाकर लगाकर सोलह श्रृंगार करती हैं, साथ ही दिनभर निर्जला व्रत रखकर पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना भी करती हैं। इस पोस्ट में हमने आपके लिए कजली तीज व्रत कथा PDF / Kajli Teej Vrat Katha PDF in Hindi डाउनलोड लिंक भी दिया है।
कजरी तीज व्रत कथा PDF | Kajli/Kajari Teej Vrat Katha Hindi PDF
कजली तीज की पौराणिक व्रत कथा के अनुसार एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। भाद्रपद महीने की कजली तीज आई। ब्राह्मणी ने तीज माता का व्रत रखा। ब्राह्मण से कहा आज मेरा तीज माता का व्रत है। कही से चने का सातु लेकर आओ। ब्राह्मण बोला, सातु कहां से लाऊं। तो ब्राह्मणी ने कहा कि चाहे चोरी करो चाहे डाका डालो। लेकिन मेरे लिए सातु लेकर आओ।
कजली तीज व्रत पूजा विधि | Kajli Teej Vrat Puja Vidhi
- पहले कुछ रेत जमा करें और उससे एक तालाब बनाये. यह ठीक से बना हुआ होना चाहिए ताकि इसमें डाला गया जाल लीक ना हो।
- अब तालाब के किनारे मध्य में नीम की एक डाली को लगा दीजिये, और इसके ऊपर लाल रंग की ओढ़नी डाल दीजिये।
- इसके बाद इसके पास गणेश जी और लक्ष्मी जी की प्रतिमा विराजमान कीजिये, जैसे की आप सभी जानते हैं इनके बिना कोई भी पूजा नहीं की जा सकती।
- अब कलश के ऊपरी सिरे में मौली बाँध दीजिये और कलश पर स्वास्तिक बना लीजिये. कलश में कुमकुम और चावल के साथ सत्तू और गुड़ भी चढ़ाइए, साथ ही एक सिक्का भी चढ़ा दीजिये।
- इसी तरह गणेश जी और लक्ष्मी जी को भी कुमकुम, चावल, सत्तू, गुड़, सिक्का और फल अर्पित कीजिये।
- इसी तरह तीज पूजा अर्थात नीम की पूजा कीजिये, और सत्तू तीज माता को अर्पित कीजिये. इसके बाद दूध और पानी तालाब में डालिए।
- विवाहित महिलाओं को तालाब के पास कुमकुम, मेंहदी और कजल के सात राउंड डॉट्स देना पड़ता है. साथ ही अविवाहित स्त्रियों को यह 16 बार देना होता है।
- अब व्रत कथा शुरू करने से पहले अगरबत्ती और दीपक जला लीजिये. व्रत कथा को पूरा करने के बाद महिलाओं को तालाब में सभी चीजों जैसे सत्तू, फल, सिक्के और ओढ़नी का प्रतिबिंब देखने की जरूरत होती है, जोकि तीज माता को चढ़ाया गया था. इसके साथ ही वे उस तालाब में दीपक और अपने गहनों का भी प्रतिबिंब देखती हैं।
- व्रत कथा खत्म हो जाने के बाद के कजरी गीत गाती हैं, और सभी माता तीज से प्रार्थना करती है. अब वे खड़े होकर तीज माता के चारों ओर तीन बार परिक्रमा करती हैं।
कजरी/कजली तीज का महत्व
दुसरे तीज त्यौहार की तरह इस तीज का भी अलग महत्त्व है। तीज एक ऐसा त्यौहार है जो शादीशुदा लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. हमारे देश में शादी का बंधन सबसे अटूट माना जाता है। पति पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए तीज का व्रत रखा जाता है। दूसरी तीज की तरह यह भी हर सुहागन के लिए महत्वपूर्ण है. इस दिन भी पत्नी अपने पति की लम्बी उम्र के लिए व्रत रखती है, व कुआरी लड़की अच्छा वर पाने के लिए यह व्रत रखती है।
कजरी तीज मनाने का तरीका – कैसे मनाई जाती है
- इस दिन हर घर में झूला डाला जाता है. और औरतें इस में झूल कर अपनी ख़ुशी व्यक्त करती है।
- इस दिन औरतें अपनी सहेलियों के साथ एक जगह इकट्ठी होती है और पूरा दिन नाच गाने मस्ती में बिताती है।
- औरतें अपने पति के लिए व कुआरी लड़की अच्छे पति के लिए व्रत रखती है।
- तीज का यह व्रत कजली गानों के बिना अधूरा है. गाँव में लोग इन गानों को ढोलक मंजीरे के साथ गाते है।
- इस दिन गेहूं, जौ, चना और चावल के सत्तू में घी मिलाकर तरह तरह के पकवान बनाते है।
- व्रत शाम को चंद्रोदय के बाद तोड़ते है, और ये पकवान खाकर ही व्रत तोड़ा जाता है।
- विशेषतौर पर गाय की पूजा होती है।
- आटे की 7 रोटियां बनाकर उस पर गुड़ चना रखकर गाय को खिलाया जाता है. इसके बाद ही व्रत तोड़ते है।
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