होलिका दहन व्रत कथा | Holika Dahan Vrat Katha and Pooja Vidhi

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप होलिका दहन व्रत कथा / Holika Dahan Vrat Katha and Pooja Vidhi PDF Hindi प्राप्त कर सकते हैं। होलिका दहन का अनुष्ठान होलिका उत्सव के एक दिन पूर्व मनाया जाता है। होलिका दहन करने के लिए विभिन्न प्रकार के गाय के गोबर से बने उपलों तथा पवित्र लकड़ियों से एक होलिका का निर्माण करते हैं।
होलिका निर्माण करने के पश्चात महिलाएं उसका पूजन करती हैं तथा उसकी परिक्रमा करते हैं। रात्रिकाल में उचित मुहूर्त के दौरान होलिका धन किया जाता है। होलिका दहन क्यों किया जाता है इसके सम्बन्ध में एक कथा प्रचलित है जिस पौराणिक कथा के बारे में आप इस लेख के माध्यम से जान सकते हैं।

होलिका दहन व्रत कथा / Holika Dahan Vrat Katha PDF

नारद पुराण के अनुसार, आदिकाल में हिरण्यकश्यप नामक एक राक्षस था। वही किसू देवी-देवता को ना मानकर खुद को ही भगवान मानाचा था। वह चाहता था कि हर कोई उनकी पूजा करें। इसी कारण उसके राज्य में हर कोई दैत्यराज हिरण्यकश्यप की ही पूजा करते थे। लेकिन राक्षस हिरण्यकश्यप  का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का सबसे बड़ा भक्त था।
दैत्यराज के लिए उसका पुत्र ही सबसे बड़डा शत्रु बनता जा रहा था। क्योंकि वह सोचता था कि अगर घर का पुत्र की मेरी पूजा नहीं करेगा तो किसी दूसरे से क्या अपेक्षा रखेंगे। इसलिए वह हमेशा इसी चिंता में लगा रहता था कि आखिर वह अपने पुत्र को कैसे विष्णु की भक्ति करने से रोके। वह प्रहलाद से खुद की पूजा करने के लिए कहते थे। लेकिन वह जरा सी भी बात नहीं सुनता था।
ऐसे में हिरण्यकश्यप से त्रस्त होकर अपने पुत्र को कष्ट देने शुरू कर दिया। उसे हाथी से कुचलने, खाई से गिराने की कोशिश की लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से वह असफल रहा। प्रहलाद को लंबे समय तक काल कोठरी पर बंद करके विभिन्न तरह की यातनाएं देता रहा। थक हार के हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से मदद की गुहार लगाई,जिसे भगवान शंकर से ऐसा वरदान मिला था जिसके अनुसार आग उसे जला नहीं सकती थी।
इसके बाद दोनों से मिलकर तय किया कि प्रहलाद को आग में जलाकर खत्म किया जाए। इसी कारण होलिका प्रहलाद को अपनी गोदी में बिठाकर आग में बैठ गई। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से होलिका जल गई और प्रहलाद की जान बच गई। इस बात से हिरण्यकश्यप काफी दुखी हुआ। इसी कारण हर साल चैत्र मास की पूर्णिमा को अग्नि जलाकर होलिका दहन का आयोजन किया जाता है।

होलिका दहन पूजा विधि / Holika Dahan Puja Vidhi PDF

  • फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को सुबह नहाकर होलिका व्रत का संकल्प करें।
  • दोपहर में होलिका दहन स्थान को पवित्र जल से शुद्ध कर लें।
  • उसमें लकड़ी, सूखे उपले और सूखे कांटे डालें।
  • शाम के समय उसकी पूजा करें।
  • होलिका के पास और किसी मंदिर में दीपक जलाएं।
  • होलिका में कपूर भी डालना चाहिए।
  • इससे होली जलते समय कपूर का धुआं वातावरण की पवित्रता बढ़ता है।
  • शुद्ध जल सहित अन्य पूजा सामग्रियों को एक-एक कर होलिका को अर्पित करें।
  • होलिका दहन के समय परिवार के सभी सदस्यों को होलिका की तीन या सात परिक्रमा करनी चाहिए।
  • इसके बाद घर से लाए हुए जौ, गेहूं, चने की बालों को होली की ज्वाला में डाल दें। होली की अग्नि और भस्म लेकर घर आएं और पूजा वाली जगह रखें।
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