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यहाँ हम प्रस्तुत कर रहे हैं Hal Shashti Vrat Katha Hindi PDF / हलषष्ठी व्रत कथा PDF जिसे ललही छठ व्रत कथा PDF के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत बलराम जी को समर्पित होता है। भगवान बलराम को भगवान विष्णु के 8वें अवतार के रूप में पूजा जाता है। भगवान बलराम जी की जयंती को हल षष्ठी अथवा ललाही छठ के रूप में मनाया जाता है। बलराम भगवान कृष्ण के बड़े भाई थे। भगवान बलराम को आदिशेष के अवतार के रूप में भी पूजा जाता है, जिन शेषनाग पर भगवान विष्णु विश्राम करते हैं उन्हें ही आदिशेष के नाम से भी जाना जाता है। बलराम को बलदेव, बलभद्र और हलयुध के नाम से भी जाना जाता है। इस पर्व को उत्तर भारत में Harchat Vrat Katha Hindi PDF / हरछठ व्रत कथा PDF और ललही छठ व्रत कथा PDF के नाम से भी जाना जाता है। ब्रज क्षेत्र में इस दिन को बलदेव छठ के नाम से जाना जाता है और गुजरात में इस दिन को रंधन छठ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु के लिए व्रत का पालन करती हैं तथा विशेष पूजा – अर्चना कर हलषष्ठी व्रत कथा Book PDF से हलषष्ठी व्रत कथा PDF का पाठ करती हैं।
हलषष्ठी/ललही छठ व्रत कथा हिंदी | Hal Sashti (Lalahi Chhath) Vrat Katha in Hindi :
हरछठ पर क्षेत्रीय स्तर पर वैसे तो बहुत सी कथाएं कही जाती हैं लेकिन यह कथा विशेष रूप से प्रचलित है। एक ग्वालिन दूध दही बेचकर अपना जीवन व्यतीत कर रही थी। एक बार वह गर्भवती और दूध बेचने जा रही थी तभी रास्ते में उसे प्रसव पीड़ा होने लगी। इस पर वह एक पेड़ के नीचे बैठ गई और वहीं पर एक पुत्र को जन्म दिया। ग्वालिन को दूध खराब होने की चिंता थी इसलिए वह अपने पुत्र को पेड़ के नीचे सुलाकर पास के गांव में दूध बेचने के लिए चली गई। उस दिन हर छठ व्रत था और सभी को भैंस का दूध चाहिए था लेकिन ग्वालिन ने गाय के दूध को भैंस का बताकर सबको दूध बेच दिया। इससे छठ माता को क्रोध आया और उन्होंने उसके बेटे के प्राण हर लिए। ग्वालिन जब लाैटकर आई तो रोने लगी और अपनी गलती का अहसास किया। इसके बाद सभी के सामने अपना गुनाह स्वीकार पैर पकड़कर माफी मांगी। इसके बाद हर छठ माता प्रसन्न हो गई और उसके पुत्र को जीवित कर दिया। इस वजह से ही इस दिन पुत्र की लंबी उम्र हेतु हर छठ का व्रत व पूजन होता है।
हलछठ (हरछठ) पूजन विधि | Lalahi Chhath Puja Vidhi | Hal Shashti Puja Vidhi :
- हलषष्ठी के दिन प्रात: काल स्नान आदि से निवृत्त होकर दीवार पर गोबर से हरछठ चित्र मनाया जाता है।
- इसमें गणेश-लक्ष्मी, शिव-पार्वती, सूर्य-चंद्रमा, गंगा-जमुना आदि के चित्र बनाए जाते हैं।
- इसके बाद हरछठ के पास कमल के फूल, छूल के पत्ते व हल्दी से रंगा कपड़ा भी रखें।
- हलषष्ठी की पूजा में पसाई के चावल, महुआ व दही आदि का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
- इस पूजा में सतनजा यानी कि सात प्रकार का भुना हुआ अनाज चढ़ाया जाता है।
- इसमें भूने हुए गेहूं, चना, मटर, मक्का, ज्वार, बाजरा, अरहर आदि शामिल होते हैं।
- इसके बाद हलषष्ठी माता की कथा सुनने का भी विधान है।