नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप गोपाष्टमी व्रत कथा / Gopashtami Ki Katha PDF प्राप्त कर सकते हैं। गोपाष्टमी का व्रत गौ माता को समर्पित होता है। यदि आप भी गौ माता की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको यह व्रत गोपाष्टमी के अवसर पर अवश्य करना चाहिए। गौ माता की सेवा करने से भगवन कृष्ण की कृपा भी प्राप्त होती है।
नागुला चविथी का व्रत करने से न केवल गौ माता की कृपा प्राप्त होती है बल्कि इस पूजन को पूर्ण विधि – विधान से करने से भगवान् श्री कृष्ण जी भी प्रसन्न होते हैं। भगवान् श्री कृष्ण की कृपा से व्यक्ति के जीवन में दांपत्य सुख एवं प्रेम में वृद्धि होती है। गोपाष्टमी को अनेक क्षेत्रों में गौ अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।
गोपाष्टमी की कथा / Gopashtami Vrat Katha PDF
प्राचीन काल में एक बार बाल गोपाल (भगवान कृष्ण) जब 6 साल के थे तो मां यशोदा से कहने लगे कि मां अब मैं बड़ा हो गया हूं और अब मैं बछड़े चराने नहीं जाऊंगा. मैं गौ माता के साथ जाऊंगा. इसपर यशोदा ने बात नन्द बाबा पर टालते हुए कथा कि अच्छा ठीक है लेकिन एक बार बाबा से पूछ तो लो. इसपर भगवान कृष्ण जाकर नंद बाबा से कहने लगे कि अब मैं बछड़े नहीं बल्कि गाय चराने जाया करूंगा. नंद बाबा ने उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन बाल गोपाल के हठ के आगे उनकी एक न चली. फिर नंद बाबा ने कृष्ण से कहा कि ठीक है तो पहले जाकर पंडित जी को बुला लाओ ताकि उनसे गौ चारण के लिए शुभ मुहूर्त का पता लगाया जा सके.
ये सुनकर बाल गोपाल दौड़ते हुए पंडित जी के पास पहुंचे और एक सांस में उनसे कह डाला कि- पंडित जी, आपको नंद बाबा ने गौ चारण का मुहूर्त देखने के लिए बुलाया है. आप आज ही शुभ मुहूर्त बताना तो मैं आपको खूब ढेर सारा मक्खन दूंगा.
पंडित जी नंद बाबा के पास पहुंचे और पंचांग देखकर उसी दिन को गौ चारण के लिए शुभ मुहूर्त बता दिया और साथ ही यह भी कह दिया कि आज के बाद से एक साल तक गौ चारण के लिए कोई भी मुहूर्त शुभ नहीं है.
नंद बाबा ने पंडित जी की बात पर विचार करते हुए बाल गोपाल को गौ चारण की आज्ञा दे दी. भगवान दिन उसी दिन से गाय चराने जाने लगे. जिस दिन से बाल गोपाल ने गौ चारण आरंभ किया था उस दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी थी. भागवान द्वारा उस दिन गाय चराना आरंभ करने की वजह से इसे गोपाष्टमी कहा गया.
गौ माता की आरती / Gau Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi
ॐ जय जय गौमाता, मैया जय जय गौमाता
जो कोई तुमको ध्याता, त्रिभुवन सुख पाता
सुख समृद्धि प्रदायनी, गौ की कृपा मिले
जो करे गौ की सेवा, पल में विपत्ति टले
आयु ओज विकासिनी, जन जन की माई
शत्रु मित्र सुत जाने, सब की सुख दाई
सुर सौभाग्य विधायिनी, अमृती दुग्ध दियो
अखिल विश्व नर नारी, शिव अभिषेक कियो
ममतामयी मन भाविनी, तुम ही जग माता
जग की पालनहारी, कामधेनु माता
संकट रोग विनाशिनी, सुर महिमा गाई
गौ शाला की सेवा, संतन मन भाई
गौ मां की रक्षा हित, हरी अवतार लियो
गौ पालक गौपाला, शुभ संदेश दियो
श्री गौमाता की आरती, जो कोई सुत गावे
पदम् कहत वे तरणी, भव से तर जावे
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