नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप गौ माता चालीसा / Gau Chalisa PDF प्राप्त कर सकते हैं। हिन्दू धर्म में गौ माता को बहुत विशेष स्थान दिया गया है। माना जाता है कि गौ माता के शरीर में तैंतीस कोटि देवताओं का वास होता है। अतः यही कारण है कि गौ माता को विभिन्न अवसरों पर पूजा जाता है।
गौ माता की कृपा प्राप्त होने पर विभिन्न प्रकार के दोष भी कुंडली से समाप्त हो जाते हैं। यदि आपकी कुंडली में किसी भी ग्रह की महादशा अथवा अन्तर्दशा चल रही हो, तो आपको नित्य प्रतिदिन गौ धूलि का तिलक अपने मस्तक पर लगाकर गौ चालीसा का पूर्ण भक्तिभाव से पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से आप सभी ग्रहों की महादशा तथा अन्तर्दशा से बच सकते हैं।
गौ माता की चालीसा | Gau Mata Ki Chalisa PDF in Hindi
।। दोहा ।।
श्री गणेश को सुमिर के, शारद शीश नवाय !
गौ माँ की महिमा कहूँ, कंठ विराजो आय !!
मंदमती मैं मात गौ, मुझको तनिक न ज्ञान !
कृपा करो हे नंदिनी, महिमा करूँ बखान !!
।। चौपाई।।
जय जय जय जय जय गौ माता, कामधेनु सुख शान्ति प्रदाता !!१!!
मात सुरभि हो जग कल्यानी, ऋषि मुनियों ने कथा बखानी !!२!!
तुम ही हो हम सबकी मइया, भवसागर की पार लगइया !!३!!
देवन आई विपत करारी, तुमने माता की रखवारी !!४!!
ऋषि मुनियन पर दानव धावा, सब मिल तुमहिं पुकार लगावा !!५!!
व्याकुल होकर गंगा माई, आकर पास गुहार लगाई !!६!!
गंगा को माँ दिया निवासा, आपहिं लक्ष्मी आई पासा !!७!!
लक्ष्मी को भी तुम अपनाई, सबके जीवन मात बचाई !!८!!
तेंतिस कोटि देव-मुनि आये, सबहीं माता आप बचाये !!९!!
तुमने सबकी रक्षा कीन्हीं, असुर ग्रास हर जीवन दीन्हीं !!१०!!
माता तुम हो दिव्य स्वरूपा, तव महिमा सब गायें भूपा !!११!!
देव दनुज मिल मथे नदीशा, पाये चौदह रतन मनीषा !!१२!!
सागर को मिल देव मथाये, कामधेनु रत्नहिं तब पाये !!१३!!
कामधेनु के पांच प्रकारा, सेवा से जायें भव पारा !!१४!!
सुभद्रा नंदा सुरभि सुशीला, बहुला धेनु काम की लीला !!१५!!
जो जन सिर गोधूलि लगायें, ताके पाप आप कट जायें !!१६!!
गो चरणन मा तीर्थ निवासा, गौ-भक्ति सम नहीं उपवासा !!१७!!
गौ सेवा है मोक्ष कि सीढी, धन बल यश पावहिं सब पीढ़ी !!१८ !!
विद्या लक्ष्मी आवहिं पासा, कामधेनु कर जहाँ निवासा !!१९!!
भोलेनाथ श्राप जब पाये , सीधे वह गोलोक सिधाये !!२०!!
शिव करन सुरभि की स्तुति लागे, परिकरमा कर माँ के आगे !!२१!!
हाँथ जोड़ शिव बात बताई, तपती देह श्राप से माई !!२२!!
तोरी शरण मात मैं आया, शीतल कर दो मेरी काया !!२३!!
सुरभि देह में प्रविशे शंकर, जग कोलाहल मचा भयंकर !!२४!!
तब सबहिं देव मिल स्तुति गाये, पता पाय गोलोक सिधाये !!२५!!
सूर्य समान सुरभि सुत देखा, नील नाम था तेज विशेषा !!२६!!
गो सेवक थे कृष्ण मुरारी, जिनकी महिमा सबसे न्यारी !!२७!!
कान्हा वन में गाय चराते, दूध दही पी माखन खाते !!२८!!
जबहिं कृष्ण बाँसुरी बजायें, बछड़े गाय लौट आ जायें !!२९!!
जिस घर हो माँ तेरा वासा, दुःख पीड़ा किम आवहिं पासा !!३०!!
हो जहँ कामधेनु की पूजा, पुण्य नहीं इससे बड़ दूजा !!३१!!
माता तुमने ऋषि मुनि तारे, देव मनुज के भाग्य सँवारे !!३२!!
वेद पुराणों में तव गाथा, युगों युगों से है तव साथा !!३३!!
तुमहिं मनुज के भाग्य सँवारे, अंत काल वैतरिणी तारे !!३४!!
तव महिमा किम गाऊँ माते, तुममे चारो धाम समाते !!३५!!
पंचगव्य की महिमा न्यारी, तुमसे ही है दुनिया सारी !!३६!!
प्रातकाल जो दर्शन पायें , बिगड़े काज आप बन जायें !!३७!!
हाँथ जोड़ जो शीश नवाये, बुरी बला से मात बचाये !!३८!!
जो जन गौ चालीसा गाये, सुख सम्पति ताके घर आये !!३९!!
‘चेतन’ है माँ तेरा दासा, मात ह्रदय में करो निवासा !!४०!!
।। दोहा ।।
गौ चालीसा जो पढ़े, नित्य नियम उठ प्रात !
ज्ञान संग धन यश बढ़े, कष्ट हरे गौ मात !!
गौ वंदन जो कर लिये, पूरण चारो धाम !
तरणि तीर कान्हा मिले, पाये सरयू राम !!
गौ माता की आरती | Gau Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi
ॐ जय जय गौमाता,
मैया जय जय गौमाता
जो कोई तुमको ध्याता,
त्रिभुवन सुख पाता
सुख समृद्धि प्रदायनी,
गौ की कृपा मिले
जो करे गौ की सेवा,
पल में विपत्ति टले
आयु ओज विकासिनी,
जन जन की माई
शत्रु मित्र सुत जाने,
सब की सुख दाई
सुर सौभाग्य विधायिनी,
अमृती दुग्ध दियो
अखिल विश्व नर नारी,
शिव अभिषेक कियो
ममतामयी मन भाविनी,
तुम ही जग माता
जग की पालनहारी,
कामधेनु माता
संकट रोग विनाशिनी,
सुर महिमा गाई
गौ शाला की सेवा,
संतन मन भाई
गौ मां की रक्षा हित,
हरी अवतार लियो
गौ पालक गौपाला,
शुभ संदेश दियो
श्री गौमाता की आरती,
जो कोई सुत गावे
पदम् कहत वे तरणी,
भव से तर जावे
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