दुर्गा अष्टमी व्रत कथा । Durga Ashtami Vrat Katha PDF In Hindi

दुर्गा अष्टमी व्रत कथा । Durga Ashtami Vrat Katha Hindi PDF Download

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PDF Name दुर्गा अष्टमी व्रत कथा
No. of Pages 5
Category Religion & Spirituality
Source https://coderegimetech.com/
PDF Size 1.55 Mb
Language हिंदी
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सभी भक्तजनों को प्यार भरा नमस्कार,  आज हम आपके साथ दुर्गा अष्टमी व्रत कथा  / Durga Ashtami Vrat Katha PDF In Hindi में साझा करने जा रहे हैं। दुर्गा अष्टमी भारत में सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। ऐसे कई लोग हैं जो अष्टमी का व्रत रखते हैं और इस दिन नवरात्रि का व्रत समाप्त करते हैं। आप इस दिन व्रत रखकर मां दुर्गा की स्तुति कर सकते हैं और अपने और अपने परिवार के लिए उनसे आशीर्वाद मांग सकते हैं। देवी दुर्गा भारत में सबसे अधिक पूजी जाने वाली देवी हैं। अगर आप भी दुर्गा अष्टमी का व्रत रखकर मां दुर्गा की कृपा पाना चाहते हैं. इस व्रत को करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। अपने व्रत की सिद्धि के लिए आपको दुर्गा अष्टमी व्रत कथा का पाठ करना चाहिए।

जिस तरह से दुर्गा सप्ताशी के दिन दुर्गा सप्तशती कवच का पाठ करना फलदायी होता है इसी तरह अष्टमी वाले दिन दुर्गा अष्टमी व्रत कथा को सुनना चाहिए। राम नवमी नवरात्री का अंतिम दिन होता है इस दिन महानवमी की व्रत कथा को सुनकर कंजकों (कन्याओं) को भोग लगाकर, उनका पूजन कर के व्रत खोलना चाहिए।

दुर्गा चालीसा का रोज पाठ करने से दुर्गा माँ बहुत प्रसन्न होती हैं। भक्तजन इस दिन अपनी इच्छा के अनुसार पूरे विधि विधान से माँ दुर्गा का हवन भी कर सकते हैं। पूरे 9 दिन माता रानी के भजन सुनने चाहिए और माँ दुर्गा के 108 नाम लेकर उनका ध्यान करना चाहिए।

दुर्गा अष्टमी व्रत कथा । Durga Ashtami Vrat Katha PDF In Hindi

दुर्गम नाम के क्रूर राक्षस ने अपनी क्रूरता से तीनों लोकों को पर अत्याचार किया हुआ था। उसके आतंक के कारण सभी देवता स्वर्ग छोड़कर कैलाश चले गए थे। दुर्गम राक्षस को वरदान था कि कोई भी देवता उसका वध नहीं कर सकता, सभी देवता ने भगवान शिव से विनती कि वो इस परेशानी का हल निकालें। इसके बाद ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने अपनी शक्तियों को मिलाकर शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन देवी दुर्गा को जन्म दिया। इसके बाद माता दुर्गा को सबसे शक्तिशाली हथियार दिया गया और राक्षस दुर्गम के साथ युद्ध छेड़ दिया गया। जिसमें माता ने राक्षस का वध कर दिया और इसके बाद से दुर्गा अष्टमी की उत्पति हुई। इसलिए दुर्गा अष्टमी के दिन शस्त्र पूजा का भी विधान है।

अष्टमी पूजन का शुभ महूर्त । Durga Puja Mahurat 2023

दुर्गा अष्टमी बुधवार, मार्च 29, 2023 को

चैत्र, शुक्ल अष्टमी आरम्भ -07:02 PM, मार्च 28

चैत्र, शुक्ल अष्टमी समाप्त – 09:07 PM, मार्च 29

कन्या पूजन विधि 

भक्तजन अपनी इच्छा अनुसार कन्या पूजन कर सकते हैं। कन्या पूजन कोई घर पर तो कोई मंदिर में जाकर करता है। पूरे विधि विधान से 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं को कंजक पूजा के लिए आमंत्रित करना चाहिए।

  • कन्या पूजन वाले दिन सबसे पहले माता अम्बे की विधि विधान पूजा कर लें।
  • इसके बाद कन्याओं और बालक के साफ जल से पैर धोएं।
  • फिर कन्याओं और बालक को विराजने के लिए आसन दें।
  • फिर मां दुर्गा के समक्ष दीपक प्रज्वलित करें और सभी कन्याओं और एक बालक को तिलक लगाएं और हाथ में कलावा बांधें।
  • इसके बाद बालक और कन्याओं को भोजन परोसें।
  • भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा या उपहार दें।
  • फिर सभी कन्याओं के पैर छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर उन्हें सम्मान के साथ विदा करें।

दुर्गा अष्टमी पूजा विधि | Durga Ashtami Pooja Vidhi PDF in Hindi

  • दुर्गा अष्टमी के दिन सुबह उठें, गंगाजल डालकर स्नानादि करें.
  • लकड़ी के पाठ लें और उस पर लाल वस्त्र बिछाएं.
  • फिर मां दुर्गा के मंत्र का जाप करते हुए उनकी प्रतिमा या फोटो स्थापित करें.
  • लाल या ऊड़हल के फूल, सिंदूर, अक्षत, नैवेद्य, सिंदूर, फल, मिष्ठान आदि से मां दुर्गा के सभी स्वरूपों की पूजा करें.
  • फिर धूप-दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और आरती भी करना न भूलें.
  • इसके बाद हाथ जोड़ें और उनके समक्ष अपनी इच्छाएं रखें.
  • ऐसा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

दुर्गा अष्टमी पूजा मंत्र | Durga Ashtami Pooja Mantra PDF in Hindi

सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।

शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते॥

ॐ क्लींग ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती ही सा,

बलादाकृष्य मोहय महामाया प्रयच्छति

शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे।

सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते॥

सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्ति भूते सनातनि।

गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोऽस्तु ते॥

शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।

घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च॥

देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।

रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।

भयेभ्याहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते॥

जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते॥

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