चन्द्र स्तोत्र | Chandra Stotram

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माधयम से आप चन्द्र स्तोत्र / Chandra Stotram PDF प्राप्त कर सकते हैं। चंद्रदेव की साधना से ‍वह प्रसन्न होते हैं तथा अपने भक्तों पर कृपा करते हैं। चंद्रदेव के इस स्तोत्र में भगवान् चंद्र की महिमा का वर्णन है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार चंद्र ग्रह प्राणियों के मन को प्रभावी तथा बहुत हद तक नियंत्रित करता है।
अतः चंद्र देव का पूजन करने से जो व्यक्ति मानसिक रोगों से बहुत लम्बे समय से ग्रसित होता है, उसे राहत मिलती है तथा शीघ्र ही रोग से छुटकारा प्राप्त होता है। यदि आप भी किन्ही करने से मानसिक चिंताओं से घिरे रहते हैं, तो इस दिव्य चंद्र स्तोत्र का पाठ अवश्य करें। यदि आप प्रतिदिन इसका पाठ करने में असमर्थ हैं, तो सोमवार के दी इसका पाठ अवश्य करें।

चन्द्र स्तोत्रम | Chandra Stotra PDF

श्वेताम्बर: श्वेतवपु: किरीटी, श्वेतद्युतिर्दण्डधरो द्विबाहु: ।

 चन्द्रो मृतात्मा वरद: शशांक:, श्रेयांसि मह्यं प्रददातु देव: ।।1।।

दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसम्भवम ।

नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूषणम ।।2।।

क्षीरसिन्धुसमुत्पन्नो रोहिणी सहित: प्रभु: ।

हरस्य मुकुटावास: बालचन्द्र नमोsस्तु ते ।।3।।

सुधायया यत्किरणा: पोषयन्त्योषधीवनम ।

सर्वान्नरसहेतुं तं नमामि सिन्धुनन्दनम ।।4।।

राकेशं तारकेशं च रोहिणीप्रियसुन्दरम ।

ध्यायतां सर्वदोषघ्नं नमामीन्दुं मुहुर्मुहु: ।।5।।

 इति मन्त्रमहार्णवे चन्द्रमस: स्तोत्रम

चंद्रदेव आरती | Chandra Dev Aarti PDF

ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा।

दुःख हरता सुख करता, जय आनन्दकारी।

रजत सिंहासन राजत, ज्योति तेरी न्यारी।

दीन दयाल दयानिधि, भव बंधन हारी।

जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे।

सकल मनोरथ दायक, निर्गुण सुखराशि।

योगीजन हृदय में, तेरा ध्यान धरें।

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, संत करें सेवा।

वेद पुराण बखानत, भय पातक हारी।

प्रेमभाव से पूजें, सब जग के नारी।

शरणागत प्रतिपालक, भक्तन हितकारी।

धन सम्पत्ति और वैभव, सहजे सो पावे।

विश्व चराचर पालक, ईश्वर अविनाशी।

सब जग के नर नारी, पूजा पाठ करें।

ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा।

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