नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से भारतीय चित्रकला PDF / Bhartiya Chitrakala PDF प्राप्त कर सकते हैं। चित्रकला एक ऐसा विषय है जिसके माध्यम से व्यक्ति न केवल शैक्षिक अध्ययन में सहायता प्राप्त कर सकता है अपितु अपने विचारों को मूर्त रूप देने का भी एक शुलभ माध्यम है जिसके माध्यम से आप अपने मस्तिष्क को संयमित रख सकते हैं।
जो विद्यार्थी इस वर्ष दसवीं व बारहवीं की चित्रकला की परीक्षा में सम्मिलित हो रहे हैं तो आप भी इस लेख के द्वारा अपनी इस विषय के सम्बन्ध में अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं तथा आने वाली परीक्षा में आत्मविश्वास के साथ प्रश्नों का उत्तर दे सकते हैं। यदि आप चित्रकला के विषय में रूचि रखते हैं तथा पढ़ना चाहते हैं तो यह लेख आपकी सहायता करेगा।
भारतीय चित्रकला का इतिहास PDF / Bhartiya Chitrakala PDF
- गुफाओं से मिले अवशेषों और साहित्यिक स्रोतों के आधार पर यह स्पष्ट है कि भारत में एक कला के रूप में ‘चित्रकला’ बहुत प्राचीन काल से प्रचलित रही है। भारत में चित्रकला और कला का इतिहास मध्यप्रदेश की भीमबेटका गुफाओं की प्रागैतिहासिक काल की चट्टानों पर बने पशुओं के रेखांकन और चित्रांकन के नमूनों से प्रारंभ होता है।
- महाराष्ट्र के नरसिंहगढ़ की गुफाओं के चित्रों में चितकबरे हरिणों की खालों को सूखता हुआ दिखाया गया है। इसके हजारों साल बाद रेखांकन और चित्रांकन हड़प्पाकालीन सभ्यता की मुद्राओं पर भी पाया जाता है।
- हिन्दु और बौद्ध दोनों साहित्य ही कला के विभिन्न तरीकों और तकनीकों के विषय में संकेत करते हैं जैसे लेप्यचित्र, लेखाचित्र और धूलिचित्र। पहली प्रकार की कला का सम्बन्ध लोक कथाओं से है।
- दूसरी प्रागेतिहासिक वस्त्रों पर बने रेखा चित्र और चित्रकला से संबंद्ध है और तीसरे प्रकार की कला फर्श पर बनाई जाती है। ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग चित्रकला षडांग (चित्रकला के छः अंग) का विकास हुआ।
- वात्स्यायन का जीवनकाल ईसा पश्चात ३री शताब्दी है। उन्होने कामसूत्र में इन छः अंगो का वर्णन किया है। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए यशोधर पंडित ने आलेख्य (चित्रकला) के छह अंग बताये हैं-
- (१) रूपभेद
- (२) प्रमाण – सही नाप और संरचना आदि
- (३) भाव
- (४) लावण्य योजना
- (५) सादृश्य विधान
- (६) वर्णिकाभंग
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