भानु सप्तमी व्रत विधि | Bhanu Saptami Vrat Vidhi

नस्म्कार पाठकों इस लेख के माध्यम से आप भानु सप्तमी व्रत विधि / Bhanu Saptami Vrat Vidhi PDF प्राप्त कर सकते हैं। भानु सप्तमी व्रत सूर्यदेव को समर्पित एक अत्यधिक प्रभावशाली व्रत है। सूर्य देव को वैदिक ज्योतिष में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है तथा उन्हें भारत सहित विश्व भर में पूजा जाता है ।
श्री सूर्यदेव के पूजन के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में आने वाले विभिन्न प्रकार के कष्टों से मुक्ति तो मिलती ही है साथ ही साथ व्यक्ति के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यदि आप भी अपने जीवन में सूर्यदेव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो भानु सप्तमी व्रत का पालन पूरी श्रद्धा से अवश्य करें।

भानु सप्तमी व्रत विधि / Bhanu Saptami Vrat Vidhi PDF

  • इस दिन व्रती को  प्रात:काल स्नान करना चाहिए स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें अब पूजा स्थान पर पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके बैठ जाएं ।
  • इसके बाद सूर्य देव का लाल चंदन, अक्षत्, लाल फूल, धूप, गंध आदि से विधिपूर्वक पूजा करें इसके पश्चात कपूर या गाय के घी वाले दीपक से आरती करें ।
  • अब तांबे के स्वच्छ पात्र में गंगाजल मिश्रित जल लें, उसमें अक्षत्, लाल फूल और लाल चंदन शामिल कर लें ।
  • इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें और इस दौरान ‘ओम सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करें भानु सप्तमी के दिन हो सके तो, भोजन में नमक का इस्तेमाल न करें ।
  • जिन लोगों को एकाग्रता और यादाश्त की समस्या है, उनको आज के दिन सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए इससे आपको अवश्य ही लाभ होगा ।

श्री सूर्य आरती / Shri Bhanu Surya Aarti

जय कश्यप-नन्दन,ॐ जय अदिति नन्दन।

त्रिभुवन – तिमिर – निकन्दन,भक्त-हृदय-चन्दन॥

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।

सप्त-अश्वरथ राजित,एक चक्रधारी।

दु:खहारी, सुखकारी,मानस-मल-हारी॥

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।

सुर – मुनि – भूसुर – वन्दित,विमल विभवशाली।

अघ-दल-दलन दिवाकर,दिव्य किरण माली॥

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।

सकल – सुकर्म – प्रसविता,सविता शुभकारी।

विश्व-विलोचन मोचन,भव-बन्धन भारी॥

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।

कमल-समूह विकासक,नाशक त्रय तापा।

सेवत साहज हरतअति मनसिज-संतापा॥

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।

नेत्र-व्याधि हर सुरवर,भू-पीड़ा-हारी।

वृष्टि विमोचन संतत,परहित व्रतधारी॥

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।

सूर्यदेव करुणाकर,अब करुणा कीजै।

हर अज्ञान-मोह सब,तत्त्वज्ञान दीजै॥

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।

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