नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजा विधि / Bhalchandra Sankashti Chaturthi Puja Vidhi PDF प्राप्त कर सकते हैं। भगवान् श्री गणेश जी को हिन्दू धर्म में प्रमुखता से पूजा जाता है। भगवान् श्री गणेश जी को विघ्नहर्ता माना जाता हैए अथार्त वह अपने भक्तों के जीवन में आने वाले समस्त प्रकार के कष्टों को हर लेते हैं।
भगवान् श्री गणेश जी का पूजन करने से व्यक्ति के जीवन में समय – समय पर आने वाली बाधाओं को उसके मार्ग से हटा देते हैं तथा सभी प्रकार के कार्यों को सुलभ कर देते हैं। जिसे घर में गणपति जी का पूजन किया जाता है उस घर में सदैव मांगलिक कार्य होते रहते हैं तथा प्रसन्नता का वातावरण बना रहता है।
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजा विधि | Bhalchandra Sankashti Chaturthi Puja Vidhi PDF
- प्रातःकाल उठकर नित्यकर्म और स्नान करें।
- साफ वस्त्र धारण करने के बाद भगवान गणेश का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें. (इस दिन लाल रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है)
- पूजा करते समय मुख पूर्व या उत्तर दिशा में रखना चाहिए।
- एक चौकी लें और उस पर साफ पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।
- इस पर गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर रख दें।
- फिर पूरे स्थान पर गंगाजल छिड़क कर उसे पवित्र करें।
- इसके बाद गणेश जी को फूल की मदद से जल अर्पण करें।
- इसके बाद गणेश भगवान की पूजा-अर्चना करें।
- उन्हें रोली, अक्षत और चांदी की वर्क लगाएं।
- लाल रंग का पुष्प, जनेऊ, दूब, पान में सुपारी, लौंग, इलायची और मिठाई अर्पित करें।
- भगवान गणेश को धूप-दीप और दुर्वा, चंदन अर्पित करें।
- गणेश जी को नारियल, तिल, गुड़, मोदक का भोग लगाएं।
- इस दिन दक्षिणा अर्पित कर 21 लड्डूओं का भोग भी लगाएं.।
- पूजा के दौरान ऊं गणेशय नम: और ऊं गणपते नम: का जाप करें।
- संकष्टी चतुर्थी व्रत के महातम्य की कथा पढ़े या श्रवण (सुने) करें।
- भगवान गणेश की पूजा के बाद आरती करें।
- भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करें. सारा दिन व्रत रहें।
- इस दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है।
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