प्रिय पाठकों, इस लेख के द्वारा आप अष्ट लक्ष्मी स्तोत्र PDF / Ashta Lakshmi Stotram PDF in Hindi सरलता से प्राप्त कर सकते हैं। प्रत्येक व्यक्ति जीवन में धन – वैभव का सुख भोगना चाहता है तथा इन सब को देवी लक्ष्मी नियंत्रित करती हैं। देवी लक्ष्मी के आठ रूपों को सयुंक्त रूप से अष्टलक्ष्मी कहा जाता है। देवी आदिलक्ष्मी, देवी धान्यलक्ष्मी, देवी धैर्यलक्ष्मी, देवी गजलक्ष्मी, देवी सन्तानलक्ष्मी, देवी विजयलक्ष्मी, देवी विद्यालक्ष्मी तथा देवी धनलक्ष्मी आदि देवी महालक्ष्मी के आठ भिन्न – भिन्न रूप हैं। यहाँ से आप अष्टलक्ष्मी स्तोत्र PDF / Ashta Laxmi Stotram PDF in Hindi बड़ी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं वो भी बिना किसी परेशानी के।
इन आठ देविओं की कृपा प्राप्त करने हेतु आपको श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए। हमने अपने प्रिय पाठकों की सुविधा के लिए इस लेख के अंत में अष्टलक्ष्मी स्तोत्र pdf download लिंक दिया हुआ है जिसके माध्यम से आप इस चमत्कारी स्तोत्र को पढ़ सकते हैं तथा इसके प्रभाव से धन आकर्षित कर सकते हैं।
महालक्ष्मी अष्टकम तथा श्री महालक्ष्मी कवच का ध्यान करने से लक्ष्मी माता अत्यंत प्रशन्न हो जाती है और खूब कृपा बरसाती हैं। भक्तजनों को महालक्ष्मी मंत्र का जाप करते रहना चाहिए। सच्चे मन से माता की पूजा- अर्चना कर के लक्ष्मी जी की आरती भी अवश्य करनी चाहिए। श्री लक्ष्मी सहस्रनाम स्तोत्र तथा सिद्ध लक्ष्मी स्तोत्र का नियमित पाठ करने से लक्ष्मी जी खुश होकर अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं। जो भी भक्तजन आर्थिक रूप से परेशान है उन्हें वैभव लक्ष्मी का व्रत रखना चाहिए और वैभव लक्ष्मी व्रत कथा सुननी चाहिए ऐसा करने से मैया अपने भक्तों पर खूब धनवर्षा करती हैं।
अष्ट लक्ष्मी स्तोत्र PDF | Ashta Lakshmi Stotram PDF in Hindi
॥ आदिलक्ष्मी ॥
सुमनसवन्दित सुन्दरि माधवि चन्द्र सहोदरि हेममये ।
मुनिगणमण्डित मोक्षप्रदायिनि मञ्जुळभाषिणि वेदनुते ॥
पङ्कजवासिनि देवसुपूजित सद्गुणवर्षिणि शान्तियुते ।
जयजय हे मधुसूदन कामिनि आदिलक्ष्मि सदा पालय माम् ॥ १॥
॥ धान्यलक्ष्मी ॥
अहिकलि कल्मषनाशिनि कामिनि वैदिकरूपिणि वेदमये ।
क्षीरसमुद्भव मङ्गलरूपिणि मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते ॥
मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि देवगणाश्रित पादयुते ।
जयजय हे मधुसूदन कामिनि धान्यलक्ष्मि सदा पालय माम् ॥ २॥
॥ धैर्यलक्ष्मी ॥
जयवरवर्णिनि वैष्णवि भार्गवि मन्त्रस्वरूपिणि मन्त्रमये ।
सुरगणपूजित शीघ्रफलप्रद ज्ञानविकासिनि शास्त्रनुते ॥
भवभयहारिणि पापविमोचनि साधुजनाश्रित पादयुते ।
जयजय हे मधुसूदन कामिनि धैर्यलक्ष्मि सदा पालय माम् ॥ ३॥
॥ गजलक्ष्मी ॥
जयजय दुर्गतिनाशिनि कामिनि सर्वफलप्रद शास्त्रमये ।
रथगज तुरगपदादि समावृत परिजनमण्डित लोकनुते ॥
हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित तापनिवारिणि पादयुते ।
जयजय हे मधुसूदन कामिनि गजलक्ष्मि रूपेण पालय माम् ॥ ४॥
॥ सन्तानलक्ष्मी ॥
अहिखग वाहिनि मोहिनि चक्रिणि रागविवर्धिनि ज्ञानमये ।
गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि स्वरसप्त भूषित गाननुते ॥
सकल सुरासुर देवमुनीश्वर मानववन्दित पादयुते ।
जयजय हे मधुसूदन कामिनि सन्तानलक्ष्मि त्वं पालय माम् ॥ ५॥
॥ विजयलक्ष्मी ॥
जय कमलासनि सद्गतिदायिनि ज्ञानविकासिनि गानमये ।
अनुदिनमर्चित कुङ्कुमधूसर- भूषित वासित वाद्यनुते ॥
कनकधरास्तुति वैभव वन्दित शङ्कर देशिक मान्य पदे ।
जयजय हे मधुसूदन कामिनि विजयलक्ष्मि सदा पालय माम् ॥ ६॥
॥ विद्यालक्ष्मी ॥
प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि शोकविनाशिनि रत्नमये ।
मणिमयभूषित कर्णविभूषण शान्तिसमावृत हास्यमुखे ॥
नवनिधिदायिनि कलिमलहारिणि कामित फलप्रद हस्तयुते ।
जयजय हे मधुसूदन कामिनि विद्यालक्ष्मि सदा पालय माम् ॥७॥
॥ धनलक्ष्मी ॥
धिमिधिमि धिंधिमि धिंधिमि धिंधिमि दुन्दुभि नाद सुपूर्णमये ।
घुमघुम घुंघुम घुंघुम घुंघुम शङ्खनिनाद सुवाद्यनुते ॥
वेदपुराणेतिहास सुपूजित वैदिकमार्ग प्रदर्शयुते ।
जयजय हे मधुसूदन कामिनि धनलक्ष्मि रूपेण पालय माम् ॥ ८॥
श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्र PDF पाठ के लाभ / Ashta Laxmi Stotram PDF Benefits in Hindi PDF
- श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का नियमित पाठ करने से व्यक्ति धन को आकर्षित करता है।
- जिस घर में दुःख – दारिद्य का निवास हो उस घर में इसका प्रतिदिन पाठ करने से दुःख – दारिद्य का नाश होता है।
- अष्टलक्ष्मी जी की कृपा जिस व्यक्ति पर हो जाये वह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उन्नति करता है।
- देवी श्री अष्टलक्ष्मी की सरलता से कृपा प्राप्त करने हेतु इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए।
- देवी अष्टलक्ष्मी की कृपा से व्यक्ति के जीवन में सम्पन्नता का आगमन होता है।
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