आंवला नवमी व्रत कथा | Amla Navami Vrat Katha

नमस्कार मित्रों, इस लेख के माध्यम से आप आंवला नवमी व्रत कथा / Amla Navami Vrat Katha PDF प्राप्त कर सकते हैं। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी अथवा आंवला नवमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है तथा उसी पेड़ के नीचे दान पुण्य किया जाता है।
माना जाता है की यदि आप आंवला नवमी के दान पुण्य करते हैं, तो उस दान के फल का कभी से अथार्त अंत नहीं होता है। अक्षय नवमी पूजा के दिन व्रत रखने का भी प्रचलन है। यदि आप भी इस दिन व्रत का पालन कर रहे हैं, तो आपको आंवला नवमी व्रत कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए क्योंकि बिना कथा पढ़े ये पूजन संपन्न नहीं माना जाता है।

आंवला नवमी की कथा | Amla Navami Ki Katha PDF

एक राजा था, उसका प्रण था वह रोज सवा मन आंवले दान करके ही खाना खाता था। इससे उसका नाम आंवलया राजा पड़ गया। एक दिन उसके बेटे बहू ने सोचा कि राजा इतने सारे आंवले रोजाना दान करते हैं, इस प्रकार तो एक दिन सारा खजाना खाली हो जायेगा। इसीलिए बेटे ने राजा से कहा की उसे इस तरह दान करना बंद कर देना चाहिए।
बेटे की बात सुनकर राजा को बहुत दुःख हुआ और राजा रानी महल छोड़कर बियाबान जंगल में जाकर बैठ गए। राजा-रानी आंवला दान नहीं कर पाए और प्रण के कारण कुछ खाया नहीं। जब भूखे प्यासे सात दिन हो गए तब भगवान ने सोचा कि यदि मैने इसका प्रण नहीं रखा और इसका सत नहीं रखा तो विश्वास चला जाएगा।
इसलिए भगवान ने, जंगल में ही महल, राज्य और बाग-बगीचे सब बना दिए और ढेरों आंवले के पेड़ लगा दिए। सुबह राजा रानी उठे तो देखा की जंगल में उनके राज्य से भी दुगना राज्य बसा हुआ है। राजा, रानी से कहने लगे रानी देख कहते हैं, सत मत छोड़े। सूरमा सत छोड़या पत जाए, सत की छोड़ी लक्ष्मी फेर मिलेगी आए।
आओ नहा धोकर आंवले दान करें और भोजन करें। राजा-रानी ने आंवले दान करके खाना खाया और खुशी-खुशी जंगल में रहने लगे।
उधर आंवला देवता का अपमान करने व माता-पिता से बुरा व्यवहार करने के कारण बहू बेटे के बुरे दिन आ गए।
राज्य दुश्मनों ने छीन लिया दाने-दाने को मोहताज हो गए और काम ढूंढते हुए अपने पिताजी के राज्य में आ पहुंचे। उनके हालात इतने बिगड़े हुए थे कि पिता ने उन्हें बिना पहचाने हुए काम पर रख लिया। बेटे बहू सोच भी नहीं सकते कि उनके माता-पिता इतने बड़े राज्य के मालिक भी हो सकते है सो उन्होंने भी अपने माता-पिता को नहीं पहचाना।
एक दिन बहू ने सास के बाल गूंथते समय उनकी पीठ पर मस्सा देखा। उसे यह सोचकर रोना आने लगा की ऐसा मस्सा मेरी सास के भी था। हमने ये सोचकर उन्हें आंवले दान करने से रोका था कि हमारा धन नष्ट हो जाएगा। आज वे लोग न जाने कहां होगे ?
यह सोचकर बहू को रोना आने लगा और आंसू टपक टपक कर सास की पीठ पर गिरने लगे। रानी ने तुरंत पलट कर देखा और पूछा कि, तू क्यों रो रही है? उसने बताया आपकी पीठ जैसा मस्सा मेरी सास की पीठ पर भी था। हमने उन्हें आंवले दान करने से मना कर दिया था इसलिए वे घर छोड़कर कहीं चले गए।
तब रानी ने उन्हें पहचान लिया। सारा हाल पूछा और अपना हाल बताया। अपने बेटे-बहू को समझाया कि दान करने से धन कम नहीं होता बल्कि बढ़ता है। बेटे-बहू भी अब सुख से राजा-रानी के साथ रहने लगे। हे भगवान, जैसा राजा रानी का सत रखा वैसा सबका सत रखना। कहते-सुनते सारे परिवार का सुख रखना।

आंवला नवमी पूजन विधि | Amla Navami Puja Vidhi

  • सूर्योदय से पहले उठकर साफ कपड़े पहनें और पूजन की सामग्री के साथ आंवला के पेड़ के पास आसन लगाएं.
  • अक्षय नवमी के दिन आंवला वृक्ष की पूजा की जाती है.
  • वृक्ष की हल्दी कुमकुम व पूजन सामग्री से पूजा करें.
  • पेड़ की जड़ के पास सफाई कर जल और कच्चा दूध अर्पित करें.
  • तने पर कच्चा सूत या मौली लपेटें. यह करते हुए वृक्ष की आठ बार परिक्रमा करें.
  • कुछ जगहों पर पेड़ की 108 परिक्रमा का भी विधान बताया गया है.
  • पूजा के बाद आंवला नवमी की कथा पढ़ी और सुनी जाती है.
  • माना जाता है कि सुनें या खुद पाठ करना भी लाभप्रद होता है.
  • पूजा के बाद सुख समृद्धि की कामना करते हुए वृक्ष के नीचे बैठ कर भोजन किए जाने का महत्व है.

आंवला नवमी पूजन का शुभ मुहूर्त | Shubh Muhurat For Amla Navami Puja

जो लोग आंवला नवमी का व्रत रखेंगे, उनको पूजा के लिए 5 घंटे 24 मिनट का समय मिल रहा है. आंवला नवमी पर (शुक्रवार, 12 नवंबर) पूजा का सबसे श्रेष्ठ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 10 मिनट तक रहेगा.
You can download Amla Navami Vrat Katha PDF in Hindi by clicking on the following download button.

Leave a Comment