108 उपनिषद के नाम | 108 Upanishad

स्वामी विवेकानन्द ने अपने एक प्रवचन में कहा था -” मैं उपनिषदों को पढ़ता हूँ, तो मेरे आँसू बहने लगते हैं। यह कितना महान् ज्ञान है? हमारे लिए यह आवश्यक है कि उपनिषदों में सन्निहित तेजस्विता को अपने जीवन में विशेष रूप से धारण करें। यहाँ पर हमने 108 Upanishad Hindi PDF / 108 उपनिषद पीडीऍफ़ हिंदी भाषा में डाउनलोड करने के लिए लिंक दिया है।
हमें शक्ति चाहिए। शक्ति के बिना काम न चलेगा। यह शक्ति कहाँ से प्राप्त हो? उपनिषदें ही शक्ति की खानें हैं, उनमें ऐसी शक्ति भरी पड़ी है, जो सम्पूर्ण विश्व को बल, शौर्य एवं नवजीवन प्रदान कर सकें।
उपनिषदें किसी भी देश, जाति, मत, सम्प्रदाय का भेद किये बिना हर दीन, दुर्बल, दुःखी और दलित प्राणी को पुकार-पुकार कर कहती हैं- उठो, अपने पैरों खड़े हो जाओ और बन्धनों को काट डालो।
शारीरिक स्वाधीनता, मानसिक स्वाधीनता, आध्यात्मिक स्वाधीनता, यही उपनिषदों का मूल मन्त्र है।”स्वामी विवेकानन्द जी ने उपनिषद्-ज्ञान की आवश्यकता को न केवल ब्रह्म प्राप्ति के लिए ही,
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